परिचय - भक्ति आंदोलन की शुरुआत का उदेश्य सिर्फ समाज के आडंबरो को खत्म करना था। - हमारे समाज में जातिवाद, रंग भेद , लिंग आदि को लेकर बह...
परिचय
- भक्ति आंदोलन की शुरुआत का उदेश्य सिर्फ समाज के आडंबरो को खत्म करना था।
- हमारे समाज में जातिवाद, रंग भेद , लिंग आदि को लेकर बहुत सी असमानताएं फैली हुई थी।
- इन सबको खत्म करने के भक्ति आंदोलन की शुरुआत हुई थी।
- आंदोलन हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मो में शुरू हुआ था।
- हिन्दू धर्म में इस आंदोलन को भक्ति आंदोलन और मुस्लिम में सूफी आंदोलन कहा गया।
मुस्लिम भक्ति आंदोलन की शुरुआत
- मुस्लिम भक्ति आंदोलन की शुरुआत ईरान और फारस से हुई थी।
- इस आंदोलन का भी उद्देश्य यही था की समाज में कुछ कुरीतियों को खत्म करने की कोशिश करना।
सूफी का अर्थ
- सूफी सफ शब्द से बना है जिसका अर्थ ऊनी वस्त्र / पवित्रता है।
कुछ महत्वपूर्ण शब्दो के अर्थ
खानकाह - सूफियों का निवास स्थल
समा - संगीत गोष्ठी / सूफी समारोह
मलफ़ूज़ात - सूफी साहित्य
शरीयत - इस्लामी नियम /कानून
सूफियों के वर्ग
- सूफियों के वर्ग दो भागो में बटें हुए थे
(1) बा-शरा - इस वर्ग के लोग शरीयत (इस्लामी कानून) में विश्वास करते थे।
(2) बे-शरा - इस वर्ग के लोग शरीयत में विश्वास नहीं करते थे।
- अबुल फजल जो कि मुग़ल शासक अकबर के नौरत्नों में एक था के अनुसार कुल 14 सूफी सिलसिले थे।
भारत के प्रमुख सूफीवाद सिलसिले
- चिश्ती सम्प्रदाय > सुहरावर्दी > फिरदौसी > सत्तरिया > कादरी > नक्शाबंदी
- भारत में सूफियों का आगमन महमूद गजनवी के समय प्रारम्भ हुआ था।
- सबसे पहले भारत में आने वाले सूफी शेख स्माइल थे जो लाहौर आये थे।
- सूफियों को पीर और उनके शिष्यों को मुरीद कहा जाता था।
(1) चिश्ती सिलसिला / सम्प्रदाय
- इस सिलसिले का खानकाह (निवास स्थल) अजमेर और दिल्ली में था।
- इस सिलसिले के संस्थापक ख्वाजा अबु अब्दाल चिश्ती थे जो ईरान के निवासी थे।
- जबकि भारत में इस सिलसिले के संस्थापक ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती थे।
- ख्वाजा मुइनुद्दीन मोहम्मद गौरी के साथ भारत 1192 ई. में आये थे और इनका खानकाह अजमेर में था और इनकी दरगाह भी अजमेर में ही स्थित है।
- ख्वाजा मुइनुद्दीन के दो शिष्य थे (1) शेख हमीमउद्दीन नागोरी (2) कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी जिसके नाम पर गुलाम वंश के शासक कुतुब्दीन ऐबक ने कुतुबमीनार का निर्माण कराया था।
- कुतुब्दीन बख्तियार काकी अफगानिस्तान से भारत दिल्ली सल्तनतकाल के गुलाम वंश के शासक इल्तुमिश के समय आये थे।
- बाबा फरीद (शेख फरीदुद्दीन गज-ए-शकर) इनके उपदेशो को गुरुग्रंथ में शामिल किया गया है।
- शेख नजमुद्दीन औलिया , बाबा फरीद के शिष्य थे और ये चिश्ती सिलसिले के सबसे प्रसिद्ध संत थे इनका खनकाह दिल्ली में था।
- शेख नजमुद्दीन औलिया ने गयासुदीन तुगलक कहा था "दिल्ली अभी दूर है "
- ये दिल्ली में होते हुए कभी भी खिलजी वंश के शासक जलालुदीन खिलजी और अलाउदीन खिलजी से कभी नहीं मिले थे।
- शेख नसीरुद्दीन चिराग देहलवी जो कि शेख नजमुद्दीन औलिया शिष्य थे इनको ही औलिया ने अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था।
- शेख सलीम चिश्ती इनका खानकाह सीकरी में था।
- सलीम मुग़ल शासक अकबर के समकालीन थे और इनका मकबरा फतेहपुर सीकरी में स्थित है।
(2) सुहरावर्दी संप्रदाय
- इस संप्रदाय के संस्थापक शेख सिहाबुदीन सुहरावर्दी /जियाउद्दीन सुहरावर्दी थे।
- इनका विस्तार सर भारत के पच्छिम भाग (सिंध, पाकिस्तान) में था।
- चिश्ती के बाद यह दूसरा बड़ा लोकप्रिय सिलसिला था।
- भारत में इस सिलसिले का प्रचार शेख बहाउदीन सकरिया ने किया था।
- शेख बहाउदीन सकरिया को इल्तुमिश ने "शेख-उल-इस्लाम" का पद दिया था।
- यह सिलसिला चिश्ती क बिल्कुल विपरीत था ये लोग धन को भी इकठ्ठा करते थे।
(3) फिरदौसी सम्प्रदाय
- फिरदौसी सम्प्रदाय के संस्थापक शेख बदरूदीन समरकंदी थे इस सम्प्रदाय का प्रभाव बिहार में था।
- इस सम्प्रदाय के प्रमुख संत सैफुद्दीन याहया, मनेरी हुसैन बल्खी थे।
(4) सत्तरिया सम्प्रदाय
- इस सिलसिले के संस्थापक शेख अब्दुल्ला सत्तारी थे।
(5) कदीरिया सम्प्रदाय
- इस सम्रदाय के संस्थापक अब्दुल कादिर जिलानी थे।
- इस सिलसिले का भारत में प्रचार मकदूम जिलानी ने किया था लोधी वंश का शासक सिकंदर लोधी इनका शिष्य था।
- दारा शिकोह (औरंगजेब का भाई) इस सिलसिले का अनुयायी था।
(6) नक्शाबंदी सम्प्रदाय
- इस सिलसिले के संस्थापक ख्वाजा बाकी बिल्लाह थे इस सिसिले का सबसे अधिक कहर था।
- मुगलशासक औरंगजेब नक्शाबंदी सम्प्रदाय से सम्बंधित था।
- ये सिलसिला संगीत और नृत्य विरोधी था।
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