महमूद गजनवी का इतिहास क्या है , विस्तार से बताओ ? History of mehmood gajnavi

यामिनी वंश -  - महमूद गजनवी यामिनी वंश से सम्बंधित थे।  - यामिनी वंश के संस्थापक अलप्तगीन थे  अलप्तगीनअपने से पूर्व शासक के अब्दुल मालिक के...

महमूद गजनवी के आक्रमण

यामिनी वंश - 

- महमूद गजनवी यामिनी वंश से सम्बंधित थे। 

- यामिनी वंश के संस्थापक अलप्तगीन थे अलप्तगीनअपने से पूर्व शासक के अब्दुल मालिक के दास थे। 

- इन्होने अपनी राजधानी गजनी को बनाया था। 

- सुगुफ़्तगीन अलप्तगीन का दास था यह 977 ई. में गजनी का शासक बना था। 

- भारत पर पहला तुर्की आक्रमण सुगुफ़्तगीन ने पंजाब राज्य पर किया था जहा का शासक जय पाल था। 

- सुगुफ़्तगीन के दो पुत्र थे स्माइल और गजनवी, सुगुफ़्तगीन ने अपना शासक स्माइल को चुना था।  

- गजनवी ने शासक बनने के लिए अपने भाई स्माइल को बंदी बनाकर खुद को राजा घोषित किया था। 

-  महमूद गजनवी का जन्म 2 नवम्बर 971 ई। को हुआ था। 

- महमूद गजनवी का दूसरा नाम महमूद ए जबूली भी था।  

- राजा बनने से पहले गजनवी खुरासान का शासक था। 

- गजनवी ने राजा बनने से पहले खलीफा अलक़ादिर बिल्लाह से सुल्तान बनने की इजाजत ली थी। 

- खलीफा ने गजनवी को दो उपाधि दी थी - 

(1) यामीन - उद - दौला -  इसका अर्थ है साम्राज्य का दाहिना हाथ है 

(2) यामीन - उल - मिल्लाह - इसका अर्थ है मुस्लिमो का सरक्षक है 

-  गजनवी ने सुल्तान की उपाधि धारण की थी इस उपाधि को लेने वाला वह पहला शासक था। 

- सर हेनरी इलियट के अनुसार गजनवी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया था। 

गजनवी का भारत पर आक्रमण झरने का उद्देश्य 

- गजनवी अपने शासन का विस्तार नहीं करना चाहता था। 

- उसका उद्देश्य सिर्फ भारत से धन लूटना और मध्य एशिया में अपने साम्राज्य को मजबूत बनाना था।

गजनवी के प्रमुख आक्रमण -  

(1) पहला आक्रमण 1000 ई. में गजनवी ने पंजाब के हिन्दुशाही शासक जयपाल के शासन में सीमा क्षेत्रो पर किया था। इस आक्रमण में गजनवी को ज्यादा सफलता प्राप्त नहीं हुई थी।  

(2) 1001 ई. में दोबारा गजनवी ने पंजाब के शासक पर ही आक्रमण किया था राजा जयपाल ने अपनी राजधानी के हारने से हताश होकर आत्महत्या कर ली थी। 

(3)  तीसरा आक्रमण मेहमूद ने उछ के राजा वाजिरा पर किया था वो डर के जंगल में भाग गया था। 

(4) चौथा आक्रमण गजनवी ने 1005 ई. में मुल्तान के शासक दाऊद पर किया था जिसमें  दाऊद पराजित हुआ था।  

(5) पांचवा आक्रमण गजनवी ने 1007 ई. में जयपाल के पौत्र को गजनवी ने हराया था।  

(6) अपने छठे आक्रमण में 1008-1009 ई. में गजनवी ने आनंदपाल के शासन में आक्रमण किया और हराया भी इसके बाद उसने नगरकोट पर आक्रमण क्र बहुत सारे धन की प्राप्ति की थी। 

(7) सातवा आक्रमण गजनवी ने1009 ई. में अलवर राज्य के नारायणपुर पर किया और विजय प्राप्त की थी। 

(8) अपने आठवें आक्रमण में गजनवी ने 1010 ई. में दोबारा दाऊद पर किया पहले दाऊद गजनवी के अधीन था अब वह हमेसा के लिए अपना शासन हार गया था। 

(9)  अपने नौवें आक्रमण में गजनवी ने थानेश्वर पर 1013 ई. में आक्रमण किया था। 

(10) दसवे आक्रमण में 1013 ई. में गजनवी ने नन्दशाह पर आक्रमण किया जो आनदपाल की राजधानी थी। यह का शासक त्रिलोचन था जिसको गजनवी ने हराया था।  

(11) ग्यारहवा आक्रमण गजनवी ने 1015 ई. में हुआ था जिसमे मेहमूद ने त्रिलोचन के पुत्र भीमपाल को हराया था।  

(12) 12वा आक्रमण उसने 1018 ई. में कन्नौज और मथुरा पर था इस आक्रमण में गजनवी ने मूर्तियों को तोडा फोड़ा था इसलिए उसको मूर्ति भंजक भी कहा जाता था।   

(13) इस आक्रमण मे 1020 ई. में चंदेल राजा विद्याधर पर किया ये आक्रमण गजनवी का असफल आक्रमण था। 

(14) 1021 ई. में गजनवी ने ग्वालियर और कालिंजर पर किया था जिसमें कालिंजर के राजा ने संधि कर ली थी। 

(15) पन्द्रहवाँ आक्रमण गजनवी ने 1024 ई. में जैसलमेर और गुजरात पर किया और विजय भी हासिल की थी। 

(16) सोलहवां आक्रमण गजनवी ने 1025 ई. में सोमनाथ में किया था यह के शासक भीमदेव प्रथम थे यहा उसने शिव मंदिर को लूटा और तोडा फोड़ा था। उसने यहाँ से 20 लाख सोने की दीनार हासिल की थी परन्तु भारत से जाते समय जाट शासक ने ज्यादातर सोना जगनावी से लूट लिया था। 

(17) यह आक्रमण गजनवी ने 1027 ई. में किया था यह अंतिम आक्रमण था जिसमे जाटो को गजनवी ने पराजित किया था।   

 गजनवी की मृत्यु 

- गजनवी की मृत्यु 1030 ई. में पागल होकर हुई थी। 

अन्य बिंदु 

- महमूद गजनवी के दरबारी इतिहासकार उत्बी थे जिन्होंने किताब - उल - यामिनी और तारीख -ए - यामिनी  की रचना की थी। 

- गजनवी के साथ अलबरूनी भी भारत आया था अलबरूनी ने किताब-उल-हिन्द की रचना की थी।

- किताब-उल-हिन्द से भारत की प्राचीन सामाजिक और सांस्कृतिक जानकारी मिलती है।   

- अलबरूनी पुराणों का अध्यन करने वाला पहला मुस्लिम था। 

- अरबी भाषा में लिखी रचना तहक़ीक़-ए-हिन्द का इंग्लिश अनुवाद सचाऊ और हिंदी अनुवाद राजनीकांत शर्मा ने किया था।   

- गजनवी ने संस्कृत मुद्रालेख के साथ चांदी के सिक्के चलाये थे।  


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भारत में अरबो का आक्रमण कब हुआ था यह आक्रमण किसके द्वारा और क्यों किया गया था ?