मोहम्मद गौरी का इतिहास बताइये और तराईन के दोनों युद्धों को विस्तार बताइये। mohmmad gauri

परिचय  -  अफगानिस्तान क्षेत्र में   गजनी का शासक गजनवी यामिनी वंश   का शासन हुआ करता था बाद में धीरे - धीरे यामिनी वंश का पतन होने लगा था।  ...

मौहम्मद गौरी का इतिहास

परिचय 

-  अफगानिस्तान क्षेत्र में  गजनी का शासक गजनवी यामिनी वंश का शासन हुआ करता था बाद में धीरे - धीरे यामिनी वंश का पतन होने लगा था। 

- यामिनी वंश के एक छोटे प्रदेश में एक वंश उभर कर आया जिसको शंशवानी वंश कहा गया गया था।

शंशवानी वंश का संस्थापक कुतुबदीन हसन था कुतुबदीन हसन का वंसज मोहम्मद गोरी जिनका पूरा नाम साहबुद्दीन मोहम्मद गोरी था बाद में जाकर गौरी साम्राज्य का शासक बना। 

- मोहम्मद गोरी का उद्देश्य धन की लूटपाट और मुस्लिम साम्राज्य की स्थापना करना था। 

- गौरी ने अपना पहला आक्रमण 1175 ई. में पाकिंस्तान क्षेत्र के मुल्तान पर किया था और विजय प्राप्त की थी मुल्तान का शासक शिया मुस्लिम था। 

- दूसरा आक्रमण मौहम्मद गौरी ने गुजरात पर किया था जिसमे उसको बुरी तरह से हार मिली थी इस आक्रमण की संचालिका नायिका देवी थी और यह गौरी की भारत में प्रथम पराजय थी। 

- इस युद्ध के बाद गौरी ने अपनी रणनीति में सुधार किया। 

- 1179 ई में मोहम्मद गौरी ने स्यालकोट पर आक्रमण किया और उस पर अपना अधिकार स्थापित किया। 

- इसके बाद गौरी ने 1179 ई. से 1186 ई. के बीच में पंजाब को जीता। 

- 1186 ई. में गौरी ने लाहौर , स्यालकोट , भटिण्डा (तबारहिंद) पर अपना अधिकार कर लिया था तबारहिंद पृथ्वीराज चौहान का क्षेत्र था इस क्षेत्र के लिए ही पृथ्वीराज चौहान और गौरी के मध्य युद्ध हुआ था। 

तराईन का प्रथम युद्ध 

- तराईन का प्रथम युद्ध 1191 ई. में गौरी और पृथ्वीराज चौहान के मध्य हुआ था इस युद्ध में गौरी को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। 

- अपनी इस हार में गौरी डर से भाग गया था। 

- पृथ्वीराज चौहान ने इस युद्ध में अपनी वीरता का प्रदर्शन किया था।  

- परन्तु अपने दूसरे तराईन के युद्ध में पृथ्वीराज ने बहुत सारी गलतियां की थी जिनका फायदा गौरी ने उठाया था। 

तराईन का द्वितीय युद्ध 

- प्रथम युद्ध के बाद 1192 ई. में दोबारा में पृथ्वीराज चौहान के मध्य दूसरा युद्ध हुआ था इस युद्ध में गौरी ने विजय हासिल की थी। 

- गौरी ने इस जीत के बाद पृथ्वीराज को बंदी बना लिया था।  

- इस जीत के बाद ही भारत में मुस्लिम सत्ता की शुरुआत हो गयी थी। गौरी को भारत में मुस्लिम सत्ता का संस्थापक माना जाता है। 

- इस युद्ध के बाद गौरी ने अपने दास कुतुबदीन ऐबक को यहा का शासक घोषित किया। 

- 1994 ई. में गौरी ने कुतुब्दीन के साथ मिलकर चंदावर का युद्ध किया जिसमे उसने राजा जयचंद को कन्नौज राज्य के लिए हराया था।  

- चंदावर वर्तमान में उत्तर प्रदेश में फिरोजाबाद में है। 

- चंदावर पर अपनी जीत के बाद गौरी ने वहाँ से बहुत सा सोना और अन्य वस्तुओ को लूटा और फिर बनारस पर आक्रमण किया। 

 

- गौरी के बाद उसके दो सेनापति थे कुतुबदीन और बख्तियार जिन्होंने अब भारत पर आक्रमण करने शुरू किये थे।  

कुतुबदीन ऐबक 

- गौरी जाने के बाद अपना राज्य सेनापति कुतुबदीन ऐबक को सौप दिया था कुतुबदीन गौरी का दास था उसने लाहौर से अपना शासन शुरू किया था। 

- कुतुब्दीन दास वंश।/ गुलाम वंश का संस्थापक भी था। 

बख्तियार खिलजी 

- बख्तियार खिलजी भी गौरी का दूसरा सेनापति था उसने 1200ई. से 1206 ई. तक शासन किया था। 

बख्तियार खिलजी ने बगल के सेन वंश पर विजय प्राप्त की थी इस समय सेन वंश का शासक लक्ष्मण था जो सेन वंश का अंतिम शासक था।  

बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय और विक्रमशिला विद्यालय को ध्वस्त कर दिया था।  

- सेनापति ने बिहार पर भी अपनी विजय प्राप्त की थी।  

बख्तियार खिलजी को असम के शासक ने हराया था।  

मौहम्मद गौरी की मृत्यु 

- गौरी अंतिम बार 1205 ई. में भारत आया था क्योकि खोखर जनजाति विद्रोह को दबाना चाहता था इसी के चलते वापस जाते समय 1206 ई. में उसकी खोखर जनजाति के द्वारा उसकी हत्या कर दी गयी थी। 

- इस समय मौहम्मद गौरी पाकिस्तान क्षेत्र में नमाज पढ़ रहा था। 

- अपनी मृत्यु से पहले ही शहाबुद्दीन मौहम्मद गौरी ने अपने दासो को अपना उत्तराधकारी घोषित कर दिया था।  

- गौरी का साम्राज्य उसके तीन दासो में विभाजित किया गया था। 

(1) उसके भारतीय क्षेत्र को कुतुब्दीन ने संभाला था ऐबक ने अपना शासन दिल्ली में शुरू किया था और दास वंश की स्थापना करके इस्लाम धर्म का विस्तार किया था। 

(2) ताजुद्दीन यल्दौज ने गौरी के गजनी क्षेत्र पर शासन किया था। 

(3) नशीरूद्दीन कुबाचा ने पाकिस्तानी (उच्च और सिंध) क्षेत्र पर शासन किया था।  


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