परिचय - हुमायु का जन्म 6 मार्च 1508 ई. को काबुल में हुआ था उसको ही उसके पिता की मृत्यु के बाद मुग़लकाल का अगला बादशाह बनाया गया था हुम...
परिचय
- हुमायु का जन्म 6 मार्च 1508 ई. को काबुल में हुआ था उसको ही उसके पिता की मृत्यु के बाद मुग़लकाल का अगला बादशाह बनाया गया था
हुमायूँ का वास्तविक नाम
- हुमायु का पूरा नाम नसीरुद्दीन मुहम्मद हुमायु था और उनका
- हुमायुँ के पिता का नाम बाबर और माता का नाम माहम बेगम था।
- हुमायु के तीन बहने और एक भाई था।
भाई - (1) कामरान (2) अस्की (3) हिन्दाल
बहन - गुलबदन बनो बेगम
- हुमायु की एक ही बहन थी जिसने हुमांयुनामा पुस्तक को भी लिखा था।
हुमायु की प्रारंभिक चुनोतियाँ
- बाबर की मृत्यु के बाद हुमायु को बादशाह घोषित किया गया था।
हुमायूं का राज्याभिषेक
- हुमायु का राज्याभिषेक 30 दिसंबर 1530 ई. को हुआ था।
- हुमायु ने अपने साम्राज्य को अपने भाइयो में भी विभाजित किया था।
- कामरान को काबुल और कंधार का शासक बनाया गया था।
- जबकि अस्की को सम्भल सौप दिया था हिन्दाल को मेवात का अधिकार दिया था।
- हुमायु ने अपने चचेरे भाई सुलेमान मिर्जा को बदखशा दे दिया था।
- हुमायु विद्वान क़िस्म का के व्यक्तित्व का था।
हुमायु द्वारा लडे गए युद्ध
(1) कालिंजर पर आक्रमण
- हुमायु ने कालिंजर पर 1531 ई. में आक्रमण किया था इस युद्ध में हुमायु की जीत हुई थी।
- हुमायु ने इस युद्ध में कालिंजर के शासक प्रतापरूद्र को हराया था।
- परन्तु हुमायु ने इस युद्ध में संधि कर ली थी वो वहा से धन लेकर वापस आ गया था।
(2) दोहरिया युद्ध
- 1552 ई. में अफगानो के शासको से हुमायु का युद्ध हुआ था जिसमे हुमायु की जीत हुई थी।
(3) चुनारगढ़ का किला
- हुमायु ने चुनारगढ़ के किले को चारो तरफ से घेर के बैठ गया था।
- ऐसा करने का हुमायु का उदेश्य था वो शेरशाह सूरी से इस किले को छीनना चाहता था।
- परन्तु बाद में हुमायु और शेरशाह में संधि हो गई थी जिसमे शेरशाह ने हुमायु को 10 लाख रु. और अपने पुत्र क़ुतुब खां को हुमायु की सेवा में भेजा था।
(4) बहादुर शाह से संघर्ष
- गुजरात के शासक बहादुर शाहऔर हुमायु के मध्य (1535-1536) ई. में संघर्ष हुआ था।
- इस संघर्ष में हुमायु ने गुजरात और मालवा को अपने अधीन कर लिया था परन्तु एक साल बाद ही दोनों स्वतंत्र हो गए थे।
(5) चुनारगढ़ पर विजय
- हुमायु ने 1528 ई. में चुनार के किले पर अधिकार कर बंगाल को भी जीत लिया था।
- परन्तु इस जीत के साथ ही हुमायु के भाई हिन्दाल ने खुद को आगरा का स्वतंत्र बादशाह घोषित कर लिया था।
(6) चौसा का युद्ध
- यह युद्ध चार महीने तक नहीं चला था परन्तु बरसात आने पर 1539 ई. में ये युद्ध शुरू हुआ था।
- इस युद्ध में हुमायु की जान उनके निजाम (चिश्ती- नाव वाला ने) बचाई थी इसको हुमायु ने शेरशाह की उपाधि भी दी थी।
(7) कन्नौज / बिलग्राम युद्ध
- चौसा के युद्ध के बाद शेरशाह शूरी उसके पीछे आता है जिसमे हुमायु की हार हो जाती है और वो सिंध में भाग जाता है।
- उसकी इस हार का कारण उसके भाई होते है क्यको उसके कामरान और अस्की के साथ सम्बन्ध बेहतर नहीं थे।
हुमायु का निष्काषित जीवन
- हुमायु 15 वर्षो तक भागता फिरता है (1540-1555) ई. तक दिल्ली में शेरशाह का शासन होता है।
- 1541 ई. में हुमायु का विवाह हिन्दाल के गुरु मीर अली अकबर की पुत्री हमीदा बानो बेगम से होता है।
- ईरान के शाह ने हुमायु की मदद एक शर्त पर की थी कि वो शिया इस्लाम धर्म को अपनाये।
- हुमायु ने कामरान की आखे निकल कर उसको मक्का भेज दिया था।
- अस्करी को जेल में क़ैदी बनाकर मक्का की यात्रा पर भेज दिया था।
- हिन्दाल की मृत्यु 1551 ई. के युद्ध में हो गई थी।
हुमायु की भारत पर विजय
- हुमायु ने पहले 1555 ई. में माछीवाड़ा युद्ध को जीतकर पंजाब को जीता था।
- उसके बाद सरहिंद युद्ध में सिकंदर सूर को हराकर अपना साम्राज्य प्राप्त कर लिया था।
- हुमायु ने पुनः 1555 ई. में भारत पर विजय प्राप्त कर ली थी।
हुमायु की मृत्यु
- दीनपनाह नामक पुस्तकालय जिसका निर्माण खुद हुमायू ने कराया था उस से गिरकर उसकी मृत्यु हो गई थी।
- उसकी मृत्यु 1556 ई. में हुई थी।
- उसके बाद मुग़ल शासन हुमायु के पुत्र अकबर को सौपा गया था।
- हुमायु ने पुत्र जलालुदीन मोहम्मद अकबर को 14 फरवरी 1556 ई. को बादशाह घोषित किया गया था।