विजयनगर साम्राज्य का इतिहास क्या है / VijayNagar samrajya

 परिचय -   दिल्ली सल्तनत काल के प्रमुख वंश तुगलक वंश के प्रमुख शासक मोहम्मद बिन तुगलक ने अपने शासनकाल के दौरान दक्षिण भारत में विजय का ...

विजयनगर साम्राज्य का इतिहास

 परिचय

 दिल्ली सल्तनत काल के प्रमुख वंश तुगलक वंश के प्रमुख शासक मोहम्मद बिन तुगलक ने अपने शासनकाल के दौरान दक्षिण भारत में विजय का अभियान किया। 

- इस अभियान के दौरान मोहम्मद बिन ने कम्पली (आधुनिक कर्नाटक) पर अधिकार स्थापित किया। 

- कर्नाटक के दो सेनानायक हरिहर और बुक्का को अपने आधीन करके तुगलक ने उनसे इस्लाम धर्म को कबूल करवाया और उनको दक्षिण में अपना सल्तनत साम्राज्य को फैलाने के लिए भेजा। 

- परन्तु इन दोनों सेना नायको ने वापस दक्षिण भारत में जाकर अपने हिन्दू साम्राज्य को स्थापित किया। 

- इस दक्षिण भारत के साम्राज्य को विजयनगर कहा गया।   

विजयनगर के प्रमुख वंश 

- विजयनगर में कई वंशो ने शासन किया 

(1) संगम वंश (1336 ई.-1485 ई.)

- संगम वंश के संस्थापक हरिहर और बुक्का थे और इन्होने संगम (इनके पिता का नाम) पर रखा था। 

- इन्होने अपनी राजधानी अनेगोण्डी , विजयनगर (हम्पी) को बनाया था।  

- संगम वंश का काल का कार्यकाल 1336 ई. से 1485 ई. के मध्य का था। 

- संगम वंश के दौरान कई प्रमुख शासको ने शासन किया। 

हरिहर प्रथम (1336 ई.-1356 ई.)

-  हरिहर प्रथम ने बीस वर्ष तक शासन किया था। 

- हरिहर प्रथम के शासनकाल के दौरान एक और दक्षिण में साम्राज्य था बहमनी साम्राज्य (मुस्लिम) इन दोनों के मध्य संधर्ष शुरू हुआ था। 

- इस संघर्ष में बहमनी साम्राज्य ने रायचूर क्षेत्र जीता था। 

बुक्का प्रथम (1356 ई.-1377 ई.) 

- संगम वंश का दूसरा प्रमुख शासक बुक्का प्रथम था जिसने हरिहर के बाद शासन किया था। 

- बुक्का ने वेदमार्ग प्रतिष्ठापक की उपाधि ली थी। 

NOTE - बुक्का के पुत्र कम्पन ने मदुरा को जीता था इसके उपलक्ष्य में उसकी पत्नी गंगादेवी ने मदुराविजयम की रचना की थी। 

हरिहर द्वितीय (1377 ई.-1404 ई.)

- हरिहर द्वितीय बुक्का का पुत्र था जिसने महाराजधिराज की उपाधि ली थी। 

- इस राजा ने सम्पूर्ण दक्षिण भारत में अपना विस्तार किया था। 

- हरिहर द्वितीय ने बहमनी से बेलगाव और गोवा को छीन लिया था। 

देवराय प्रथम (1404 ई.-1422 ई.)

- देवराय प्रथम ने तुंगभद्रा नदी पर बांध का निर्माण कराया था। 

- इनके शासनकाल के दौरान इटली के यात्री निकोलस कोंटि ने विजयनगर का दौरा किया था। 

 देवराय द्वितीय (1422 ई.-1446ई.)

- देवराय द्वितीय संगम वंश का सबसे प्रतापी शासक था। 

- यह राजा गजवेंटकर और इमादिदेवराय के नाम से प्रसिद्ध था।    

- इनके ही शासनकाल के दौरान फ़ारसी यात्री अब्दुल रज्जाक विजयनगर में आया था। 

- इनके दरबार में तेगलु कवि श्रीनाथ कुछ दिन रहे थे। 

(2) सालुव वंश (1485 ई.-1505 ई.)

- सालुव वंश की स्थापना  सालुव नरसिंघ ने की थी।  

- यह वंश ज्यादा  समय नहीं चल पाया था इस वंश का अंतिम शासक इमाहि नरसिंघ था।  

(3) तुलुव वंश (1505 ई.-1570 ई.)

वीर नरसिंघ (1505 ई.-1509 ई.)

- तुलुव वंश के संस्थापक वीर नरसिंघ थे  जो ज्यादा समय तक शासन नहीं कर पाए थे इनके बाद में इनका छोटा भाई कृष्णदेवराय राजा बना था। 

कृष्णदेवराय  (1509 ई.-1529 ई.)

- कृष्णदेवराय इस वंश का सबसे प्रतापी और प्रसिद्ध शासक था। 

- बाबर जो मुगलकाल का संथापक और शासको में था उसने भी कृष्णदेवराय की चर्चा अपनी आत्मकथा (तुजुक-ए-बाबरी) में भी की थी। 

- गोलकुंडा युद्ध में इस शासक ने कुतुबशाह को पराजित किया था जो कि बहमनी साम्राज्य में था। 

- इन्होंने आंध्रभोज ,अभिनवभोज की उपाधि को ग्रहण किया था। 

- कृष्णदेवराय को तेलगु साहित्य का क्लासिक युग कहा जाता था।  

- इनके दरबार में अष्टदिगज कवी रहते थे। 

- तेनालीराम कृष्णन कृष्णदेवराय के दरबारी कवि थे। 

कृष्णदेवराय ने आमुक्तमल्याह (तेलगु) की रचना की थी। *९*

कृष्णदेवराय ने हज़ारा और विट्टलस्वामी मंदिर का निर्माण कराया था। 

- नागलपुर शहर का भी निर्माण इन्ही के काल में हुआ था। 

- डोमिगोस पायस और बारबोसा (पुर्तगाली) यात्री इन्ही के शासन के दौरान आये थे। 

- तुलुव वंश के अंतिम शासक सदाशिव थे। 

NOTE - 1565 ई. में तालिकोटा (राक्षसी और तंगडी) का युद्ध हुआ था जिसमे विजयनगर की पराजय हुई थी इस युद्ध का नेतृत्व सेनापति रामराय ने किया था और उस समय शासक सदाशिव थे। 

(4) अरपिहू वंश (1570 ई.-1650 ई.)

- अरपिहू वंश का संस्थापक तिरुमल था जिसने सदाशिव को मारकर इस वंश की स्थापना की थी। 

- इनकी राजधानी पेनुगेडा थी।  .

.-. ये वंश विजयनगर का अंतिम वंश भी था। 


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