दिल्ली सल्तनतकाल की प्रशासनिक व्यवस्था क्या थी ? administrative law of delhi salatanat kaal

दिल्ली सल्तनत काल का प्रशासन  - दिल्ली सल्तनत काल की प्रशासन व्यवस्था दो तरह से थी    (1)  केंद्रीय व्यवस्था   (2) इक्ता प्रथा  (1) केंद्रीय...

दिल्ली सल्तनतकाल की प्रशासनिक व्यवस्था


दिल्ली सल्तनत काल का प्रशासन 

- दिल्ली सल्तनत काल की प्रशासन व्यवस्था दो तरह से थी    (1)  केंद्रीय व्यवस्था   (2) इक्ता प्रथा 

(1) केंद्रीय व्यवस्था 

- केंद्रीय का उदाहरण आप आज की शासन व्यवस्था से ले सकते है जैसे की केंद्र सरकार की सरकार होती है फिर बाकी का शासन उसके नीचे की राज्य सरकार होती है। 

- सल्तनतकाल  के समय भी सत्ता केंद्रीयकृत थी जिसमे पूरा शासन राजा के हाथ में होता था सभी जरुरी निर्णय राजा लेते थे। 

(2) इक्ता प्रथा     

- दूसरी शासन व्यवस्था इक्ता प्रथा भी थी जिसमे जैसे आज के समय में राज्य सरकार होती है वो केंद्र सरकार के आधीन कार्य करती है। 

- वैसे ही  उस समय इक्ता प्रथा होती थी जिसको प्रांतीय (राज्यों ) में विभाजित किया गया था इसकी सबसे छोटी इकाई  गांव थी। 

- कुछ पद जो पहले से ही निर्धारित किये हुए थे जिनको अलग अलग नामो से पुकारा जाता था 

सुल्तान -  जो सबका मुखिया होता था जिसके अनुसार सभी निर्णय लिए जाते थे जिसको मंत्री परिषद (मजलिस-ए-खल्वत) कहते थे। 

वजीर - प्रधानमंत्री /गृहमंत्री एवं दीवान-ए-वजारत /राजस्व जैसे नाम से बुलाया जाता था। 

आरिज-ए-मुबालिक - सैन्य विभाग का प्रधान (दीवान-ए-अर्ज) कहते थे। 

दबीर-ए-खास - दीवान-ए-इंसा (पत्र व्यवहार का प्रधान) कहते थे। 

दीवान-रिसालत - विदेशी वार्ता सम्बंधित प्रधान को दीवान-रिसालत कहते थे। 

सद्र-उद-सदूर - धर्म विभाग प्रधान का नाम ये लिया जाता था।  

काजी-उल-कुजात - न्याय विभाग का अधिकारी होता था जो राजा की न्याय देने में सहायता करता था। 

बरीद-ए-मुमालिक - गुप्तचर विभाग का प्रधान। 

दिल्ली सल्तनत काल की कर व्यवस्था 

- दिल्ली काल में उस समय पांच तरह के कर राजा द्वारा लिए जाते थे। 

(1) उक्ष - ये कर मुसलमानो से कृषि पर लिया `जाने` कर था जो ज्यादा नहीं था। 

(2) खराज - ये भी मुस्लिमो से कृषि पर लिया जाने वाला कर था जो 1/2 से 1/3 के मध्य होता था जिसमे 1/2 अलाउदीन के समय लिया जाता था जबकि 1/3 मौहम्मद बिन तुगलक के काल का था। 

(3) जकात - ये कर धनवान मुसलमानो से लिया जाने वाला कर था जिसकी मात्रा २.5 % थी जो एक धार्मिक कर था 

(4) जजिया कर - ये कर गैर मुस्लिमो (ब्रह्मिणो) से लिया जाने वाला कर था जो एक धार्मिक कर था। 

(5) खस्म - ये लूटपाट से लिया जाने वाला कर था जैसे कोई सूबेदार युद्ध में जीतने के बाद लूट में जो भी लेकरआता था उसका कुछ हिस्सा राजा के द्वारा रखा जाता था। 

NOTE - इन करो के अलावा अन्य कर भी लिए जाते थे जो समय और सुल्तान के हिसाब से लागु होते थे जैसे - व्यापारिक कर ,सिंचाई कर , चरागाह कर इत्यादि। 

सल्तनत काल के सैनिक संगठन -

 सल्तनत काल में चार प्रकार के सैनिक होते थे -

(1) कुछ सैनिक जो सुल्तान के सैनिक के रूप में भर्ती किये जाते थे जो हमेशाराजा के साथ होते थे। 

(2) कुछ इक्तादार  के रूप में सैनिक भर्ती किये जाते थे जो प्रांतो के सैनिक होते थे 

(3) कुछ अस्थाई सैनिको की भर्ती भी की जाती थी जो युद्ध के लिए होती थी। 

(4) कुछ मुस्लमान सेवक भर्ती किये जाते थे जिनकी भर्ती हिन्दुओ के विरुद्ध की जाती थी। 

सल्तनतकाल के समय सेना तीन प्रकार की होती थी   

(1)  कुछ सैनिक घुड़सवार होते थे जिनको ज्यादा महत्व दिया जाता था। 

(2) कुछ सैनिक गज सेना (हाथी सेना) में होते थे। 

(3) बाकि सभी सैनिक पैदल सेना में भर्ती किये जाते थे। 


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