तुगलक वंश के बारे मे बताइये ? Tughalak vansh

आज के ब्लॉग में हम दिल्ली सल्तनत काल के इतिहास के क्रम में तुगलक वंश के बारे में सम्पूर्ण रूप से जानेंगे। ........ तुगलक वंश (1320 ई.-1398 /...

आज के ब्लॉग में हम दिल्ली सल्तनत काल के इतिहास के क्रम में तुगलक वंश के बारे में सम्पूर्ण रूप से जानेंगे। ........

तुगलक वंश (1320 ई.-1398 / 1414 ई.)

तुगलक वंश का इतिहास

- तुगलक वंश की स्थापना खिलजी वंश की समाप्ति के बाद होती है। 

(1) गयासुदीन तुगलक (1320 ई.-1325 ई.)

- तुगलक वंश की स्थापना ग्यासुद्दीन तुगलक  ने 1320 ई. में की थी ग्यासुद्दीन का नाम गाजी मालिक भी था। 

- ग्यासुद्दीन तुगलक एक तुर्क मुसलमान था। 

- ग्यासुद्दीन तुगलक ने अलाउद्दीन खिलजी की सैन्य व्यवस्था को ही लागु रखा था। 

- जो अमीरो की भूमि अलाउदीन ने ले ली थी वो ग्यासुद्दीन ने वापस कर दी थी। 

- इसके शासन में मंगोलो ने 29 बार आक्रमण किया था जिसमे  गयासुदीन ने मंगोलो को हरा दिया था। 

- मंगोलो को हराने के बाद सुल्तान ने मलिक-उल्क-गाजी की उपाधि धारण की थी। 

- ग्यासुद्दीन ने सिचाई के लिए नहरों का निर्माण कराया था जो पहली बार हुआ था। 

- तुकलका नामक शहर की स्थापना भी ग्यासुद्दीन ने ही की थी। 

- ग्यासुद्दीन ने 1324 ई. से 1325 ई. के बीच में हुआ बंगाल विजय अभियान को जीता था। 

- गयासुदीन उसके बंगाल के अभियान से विजय से लौटने के बाद एक लकड़ी के महल में रुका था जिसके गिरने से ग्यासुद्दीन की  मृत्यु हुई थी। 

(2) मोहम्मद बिन तुगलक (1325 ई.-1351 ई.)

- मोहम्मद बिन तुगलक ग्यासुद्दीन की भतीजा था, जो उस काल का सबसे शिक्षित शासक कहा जाता है।

- बिन तुगलक को बुद्धिमान और मुर्ख दोनों तरह का शासक कहा गया। 

मोहम्मद बिन तुगलक के पांच अभियान जो असफल रहे -

(1) दोआब में कर वृद्धि 

- दोआब (दो नदियों के बीच का उपजाऊ क्षेत्र) मोहम्मद बिन तुगलक ने उस जगह के भू-राजस्व में वृद्धि की जो पहले 1/3 या 1/5 होता था वो अब बढ़कर 1/2 कर दिया गया था। 

- परन्तु उसी समय दोआब में अकाल पड गया था तो आम इंसान कर देने असमर्थ थे जिसके कारण राजस्व  अधिकारियों ने जबदस्ती कर लेना शुरू किया था। 

- जबदस्ती कर की वजह से किसानो ने विद्रोह किया था जिसकी  से ये अभियान असफल रहा था। 

(2) राजधानी परिवर्तन 

- बिन तुगलक ने नई राजधानी दिल्ली से दौलताबाद (देवगिरि का नाम बदला था ) को बनाया। 

- नई राजधानी का उद्देश्य था बहरी आक्रमण (मंगोलो का) पर नियंत्रण होता। 

- राजा पूरी दिल्ली की जनता को दौलताबाद (1327 ई.) लेकर जाना चाहता था जो असफल प्रयास था। 

- दोबारा 1335 ई. में  सबको दिल्ली में आने के आदेश देता है। 

- जनता ने इसका विद्रोह किया जिसके कारण ये अभियान भी असफल था। 

(3) सांकेतिक मुद्रा ( आज के समय में कागज के नोट जैसे 100 रुपया वैसे अगर वो बंद कर दी जाये तो उसकी कोई कीमत नहीं)

- मोहम्मद बिन तुगलक ने सांकेतिक मुद्रा को चलाया था जैसे आज के समय में होती है। 

- सांकेतिक मुद्रा का प्रथम बार प्रयोग चीन में किया गया था। 

- सोने, चांदी की धातुओं में कमी आते देख राजा ने पीतल , तांबे की मुद्रा को चलाया जिस से नकली मुद्राओ का चलन बढ़ गया था। 

- टकसालो पर कोई नियंत्रण न होने की वजह से ये अभियान भी असफल था। 

(4) खुरासान अभियान 

- खुरासान अभियान खुरासान (मध्य एशिया)के राजा के खिलाफ था जिसमे मध्य एशिया पर आक्रमण करने की योजना बनाई गयी थी। 

- जिसके लिए 3 लाख की सेना तैयार की गई जिसको नगद वतम भी दिया गया। 

- परन्तु सुल्तान का ये अभियान भी असफल था इस से सारा व्यय भी बेकार हुआ था। 

(5) क्रंचील अभियान 

- कुमाऊ पहाड़ियों की जनजाति के विद्रोह को कम करने के लिए ये अभियान किया गया था। 

- जिसमे वहा के राजा ने मुद्रा की माँग की थी इस कारण ये अभियान भी सम्पूर्ण नहीं हुआ था। 

मोहम्मद बिन तुगलक की प्रसासनिक व्यवस्था 

- मोहम्मद बिन तुगलक की जनता तुगलक को पागल ,रक्तपिचाशु ,स्वप्नशील जैसे नामो से बुलाती थी। 

- उसने कृषि के विकास के लिए "दीवान-ए-कोही"(अमीर-ए-कोही) नाम से एक विभाग भी बनाया था। 

- ये मोहम्मद का आधुनिक प्रयास था परन्तु  उनके अधिकारी विश्वसनीय नहीं थे। 

- मोहम्मद के शासन के दौरान ही दक्षिण भारत में नए राज्यों बहमनी और विजयनगर का उदय होता है 

- इन दोनों राज्यों में बहमनी मुस्लिम साम्राज्य और विजयनगर हिन्दू साम्राज्य था। 

- मोहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु 1351 ई. में सिंध में विरोध को दबाने में खट्टा में हुई थी। 

(3) फिरोजशाह तुगलक (1351 ई.-1388 ई.)

- फिरोजशाह मोहम्मद बिन तुगलक का चचेरा भाई था उसने इस्लामिक के अनुसार शासन को स्थापित किया था। 

- फिरोजशाह ने हिन्दुओ को जिम्मी कहा था और ब्राह्मणो पर जजिया कर लगाया था। 

फिरोजशाह के निर्माण और कल्याणकारी कार्य 

- फरोजशाह ने 24 प्रकार के करो को समाप्त कर दिया था। 

सिर्फ चार कर लगाए -

(1) खम्स - किसी के भी द्वारा युद्ध में लूटा गया धन या वास्तु का 1/5 वा हिस्सा राजा को देना होगा। 

(2) लगान (खराज) - यह कर कृषि पर था जो 1/3 था। 

(3) जजिया कर - ये कर गैर  मुस्लिमो पर लगाया गया जो धार्मिक कर था। 

(4) जकात - ये कर मुस्लिमो पर था जो २.5 लिया जाता था। 

फिरोजशाह के लोक निर्माण विभाग 

 दीवान-ए -बन्दगान नाम से दासो के रखरखाव के लिए एक विभाग बनाया था जिसमे 180000 दास थे। 

दीवान-ए-खैरात के नाम से एक विधवा या जिनकी आर्थिक स्थिति सही न हो उनको सहायता दी जाती थी। 

दारुल-ए-सफ़ा के नाम से खैराती अस्पताल भी खोला गया था। 

फिरोजशाह के महत्वपूर्ण निर्माण कार्य 

- इन्होने 300 नगर की स्थापना की थी जिनमे कुछ हिसार, फतेहाबाद, जौनपुर, फिरोजपुर, फिरोजाबाद थे। 

- सिचाई के लिए पांच नहरों का निर्माण करवाया था तालाब और कुए भी बनवाये थे। 

- उसने एक सिचाई कर (हक़-ए-शब) नाम से लगाया था जिसमे जो किसान भी सतलज नहर से खेतो में सिंचाई करता था उसको 1/10 का कर देना पड़ता था। 

- 1200 नए फलो के बागो को बनवाया था औरउन पर कार्य होता रहता था। 

- अलाउदीन के समय के 30 बागो को ठीक कराया था। 

- एक अनुवाद विभाग का निर्माण किया था जिसमे धार्मिक ग्रंथो का फ़ारसी में अनुवाद कराया था। 

- अपने काल में सिक्को पर खलीफा का नाम लिखवाया था। 

- मंदिरो के बनने पर रोक लगवाई और जो बने हुए थे उनको भी तुड़वाया था। 

- मेरठ और टोपरा के अशोक स्तंभों को उखड़वाकर दिल्ली में स्थापित कराया था। 

- फरोजशाह एक शिक्षित शासक था उसने अपनी आत्मकथा फतुहात को खुद लिखा था। 

- फिरोजशाह की मृत्यु 1388 ई. में होती है। 

(4)  नसीरुद्दीन महमूद तुगलक (1388 ई.-1398 ई.)

- ये इस वंश का अंतिम शासक था जो ज्यादा समय तक नहीं रहा था। 

- 1398 ई. में तैमूर का आक्रमण होता है जिसके बाद ये शासन दिल्ली से पालम तक ही सिमट गया था। 

- तैमूर खिज्र खां को छोड़ जाता था  जो सैयद वंश की स्थापना करता है। 


Thanks ......