बंगाल एवं कश्मीर का इतिहास / History Of Bangal And Jammu And Kashmir के बारे मे बताइये ?

परिचय  - प्राचीन भारत एक बड़ा साम्राज्य था जिसमे वर्तमान पाकिस्तान और बांग्लादेश भी था।  अंग्रेजो से आजादी के बाद भारत दो भागो में विभाजित हो...

बंगाल और कश्मीर का इतिहास

परिचय 

- प्राचीन भारत एक बड़ा साम्राज्य था जिसमे वर्तमान पाकिस्तान और बांग्लादेश भी था।  अंग्रेजो से आजादी के बाद भारत दो भागो में विभाजित हो गया था।  

- इसके कुछ समय बाद ही पाकिंस्तान भी दो भागो में विभाजित हो गया था जिसमे एक बांग्लादेश बना था।  वर्तमान में जो क्षेत्र  बांग्लादेश का है पहले भारत का पच्छिम बंगाल राज्य और बांग्लादेश बंगाल क्षेत्र  हुआ करता था।  

- बंगाल के क्षेत्र में गुप्त वंश के पतन के बाद वर्धन वंश/पुष्यभूति वंश  के हर्षवर्धन ने कुछ समय के लिए यहां  सत्ता हासिल की थी। 

-  वर्धन वंश के प्रमुख शासक हर्षवर्धन की मृत्यु के बाद यहा पर पाल वंश की स्थापना होती है। 


 बंगाल के राजवंश - 

(1) पाल वंश

- हर्षवर्धन की मृत्यु के बाद कुछ विद्वान मिलकर फैसला करते है और गोपाल को बंगाल का शासक नियुक्त करते है। 

- पाल वंश के कुछ प्रमुख शासक थे - गोपाल , धर्मपाल , देवपाल , नारायणपाल , महिपाल 

- पाल वंश का संस्थापक भी गोपाल को ही माना जाता है इसकी स्थापना 750 ई0 को हुई थी।  

- गोपाल ने अपनी राजधानी मुंगेर को बनाया था। 

- गोपाल ने ओदनपुरी विश्वविद्यालय का निर्माण कराया था।  

- पाल वंश के प्रमुख शासक धर्मपाल ने विक्रमशिला विश्वविद्यालय का निर्माण कराया था। 

- विक्रमशिला विश्वविद्यालय ( बिहार भागलपुर) नालंदा के बाद दूसरा प्रमुख विश्वविद्यालय था जो बौद्ध धर्म से सम्बंधित है। 

- धर्मपाल ने पालो की और से त्रिपक्षीय संघर्ष (कन्नौज क्षेत्र) में सबसे पहले भाग लिया था। 

- सोमपुर महाविद्यालय का निर्माण भी धर्मपाल ने कराया था। 

- धर्मपाल के समय में कला का विकास हुआ था क्योकि कांसे की मूर्तियाँ को तेजी से निर्माण होने लगा था। - कांसे की बनी मूर्तियों की तुलना चोल वंश के काल में बनी नटराज की मूर्ति से की जाती है। 

- पाल वंश के प्रमुख शासक देवपाल ने नालंदा में बौद्ध बिहार बनवाने के लिए जावा के शैलेंदर वंशी शासक बालपुत्र देव को पांच गांव दान में दिए थे 

- पाल वंश के अंतिम शासक मदनपाल थे। 


(2) सेन वंश 

- पाल वंश के अंतिम शासक के बाद कुछ समय कोई शासन नहीं था परन्तु कुछ समय बाद ही सेन वंश की स्थापना हो गई थी। 

- सेन वंश के संस्थापक सामंत सेन थे और इन्होने अपनी राजधानी नदिया को बनाया था। 

- सेन वंश के सबसे प्रमुख शासक बल्लाल सेन थे।  

- बल्लाल सेन ने दानसागर और अद्भुतसागर की रचना की थी।  

- सेन वंश के अंतिम शासक लक्ष्मण सेन थे। 

- गीतगोविन्द के लेखक जयदेव लक्ष्मण के दरबार में ही रहते थे। 

- बंगाल क्षेत्र के अंतिम हिन्दू शासक भी लक्षमण सेन ही थे। 

- सेन ने सबसे पहले अपना अभिलेख हिंदी में उत्कीर्ण कराया था। 

-  इस वंश के शासक विजयसेन ने प्रादुमेश्वर मंदिर का निरमन कराया था जो देवपाड़ा मे था। 

 

कश्मीर के राजवंश 

- कश्मीर में क्रमश: तीन वंशो से शासन किया था - कर्कोट वंश , उत्पल वंश , लोहार वंश 

- कश्मीर के कर्कोट वंश का संस्थापक दुर्लभवर्धन था जिसने 7वी शताब्दी में कर्कोट वंश को स्थापित किया था।

- कर्कोट वंश का सबसे प्रमुख और ताकतवर राजा ललितादित्य था, इन्होने कश्मीर में मंदिर भी बनवाया था।  

- कर्कोट वंश के पतन के बाद उत्पल वंश की स्थापना हुई थी जिसके संस्थापक अवन्ति बर्मन थे। 

- अवन्तिपुर नामक नगर की स्थापना उत्पल वंश के राजा अवन्ति बर्मन ने की थी। 

- उत्पल वंश के बाद  कश्मीर में लोहार वंश का शासन हुआ था।  

- इन तीनो में सबसे प्रमुख वंश लोहार वंश था। 

- लोहार वंश का प्रमुख शासक हर्ष था जो विद्वान कवि और अनेक भाषाओ का ज्ञाता भी था। 

- कल्हण जिन्होंने राजतंगिणी की रचना की थी वो हर्ष के दरबार में ही रहते थे। 

- राजतंगिणी में विशेषकर कश्मीर के इतिहास का वर्णन किया हुआ है। 

- राजतंगिणी में मौर्यकालीन साम्राज्य और गुप्तकाल साम्राज्य की जानकारी भी उल्लिखित है। 

- इसमें भारत की जलवायु और नदियों के बारे में भी लिखा गया है। 


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