वर्धन वंश/ पुष्यभूति वंश / Vardhan Vansh का काल क्या है वंश के प्रमुख शासक बताइये ?

परिचय  - गुप्त वंश के पतन और हुण जनजाति (मध्य एशिया की)  के आक्रमण के मध्य भारत मे कई छोटे - छोटे राज्यों का उदय हुआ इसी के मध्य मे भारत के...

वर्धन वंश का इतिहास


परिचय 

- गुप्त वंश के पतन और हुण जनजाति (मध्य एशिया की)  के आक्रमण के मध्य भारत मे कई छोटे - छोटे राज्यों का उदय हुआ इसी के मध्य मे भारत के पच्छिम भाग मे वर्धन वंश का उदय हुआ।  

- वर्धन वंश को पुष्यभूति वंश के नाम से भी जाना जाता है। 

- वर्धन वंश का कार्यकाल  (590- 647) AD के मध्य का था। 

वर्धन वंश के जानकारी के स्रोत्र 

- वर्धन वंश का उल्लेख बाणभट की रचना हर्षचरित  और कादंबरी से मिलता है।  

- चीनी यात्री ह्वेनसांग की रचना सी यू की उनकी यात्रा की जानकारी से गुप्त वंश का उल्लेख मिलता है। 

- पुलकेशिन द्वितीय के शासनकाल का ऐहोल अभिलेख मे भी वर्धन वंश का वर्णन मिलता है। 

- कल्हण की रचना राजतरंगिणी मे भी वर्धन वंश का उल्लेख है। 

- वर्धन वंश का संस्थापक पुष्यभूति वर्धन था जिसने अपनी राजधानी थानेश्वर को बनाया था। 

प्रभाकर वर्धन

- इस वंश का दूसरा प्रमुख शासक प्रभाकर वर्धन था जिसने हुण जनजाति को हराकर वापस भेज दिया था। 

- प्रभाकर वर्धन की पत्नी का नाम यशोधा था जिनसे उनको पुत्र राजवर्धन , हर्षवर्धन और पुत्री राज्यश्री की प्राप्ति हुई थी। 

- प्रभाकर वर्धन ने परमभट्टारक और महाराजधिराज की उपाधि धारण की थी।  

- राज्य श्री का विवाह कन्नौज के मौखरी वंश के राजा ग्रह बर्मा के साथ हुआ था। 

- मालवा के शासक देवगुप्त ने  ग्रहबर्मा की हत्या कर राज्यश्री को बंदी बना लिया था। 

- राजवर्धन ने देवगुप्त कर दी परन्तु बाद मे देवगुप्त के मित्र बयाल गोद वंश के शासक शशांक   ने मित्र का बदला लेने के लिए राजवर्धन को धोखे से मार दिया। 

हर्षवर्धन  

- हर्षवर्धन 16  वर्ष की आयु मे 606 AD मे पुष्यभूति वंश का शासक बना। 

- हर्षवर्धन को शिलादित्य भी कहा जाता है। 

-  राजा हर्ष ने शशांक को पराजित कर कन्नौज को जीता और अपनी बहन को कैद से छुड़ाया। 

- हर्षवर्धन ने अपनी राजधानी थानेश्वर से कन्नौज स्थापित कर दी थी। 

- हर्षवर्धन की प[रमुख रचनाये है - प्रियदर्शिका , नागानंद , रचनावली (नाटक) 

- हर्ष वर्धन को भारत का प्राचीन भारत का अंतिम हिन्दू शासक कहा जाता है। 

- हर्षवर्धन बौद्ध धर्म का अनुयायी था उसने विभिन्न धर्मो की विशाल सभा का आयोजन किया था। 

- हर्ष हर पांच वर्ष मे प्रयाद संगम पर एक समारोह महामोक्ष परिषद् का आयोजन करता था।  

- हर्ष नर्मदा नदी वाले क्षेत्र को अपनी तरफ करना चाहता था परन्तु उसको बादामी के चालुक्य वंश के शासक पुलकेशिन द्वितीय ने पराजित कर दिया था। 

- हर्ष के शासनकाल मे मथुरा व्यापारिक केंद्र था। 

- वर्धन वंश का शासन गुप्तकाल की तरह था।  


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