आपका इस ब्लॉग पर आने के धन्यवाद आज के ब्लॉग में हम कक्षा 6th की इतिहास की NCERT की पुस्तक के अध्याय 11 ( इमारते चित्र तथा किताबे ) के बारे म...
आपका इस ब्लॉग पर आने के धन्यवाद आज के ब्लॉग में हम कक्षा 6th की इतिहास की NCERT की पुस्तक के अध्याय 11 ( इमारते चित्र तथा किताबे ) के बारे में पढ़ेंगे। .......
- लौह स्तंभ महरौली (दिल्ली) में कुतुबमीनार जो कि गुलाम वंश के संस्थापक कुतुबदीन ऐबक ने बनवाई थी के परिसर में खड़ा है , इसकी उचाई 7.2 km और वजन 3 टन से ज्यादा है इसका निर्माण 1500 वर्ष पहले कराया गया था इसमें आज तक भी जंग नहीं लगा है।
ईंटो और पत्थरो की इमारते
- बौद्ध धर्म के काल में स्तूपों का निर्माण होने लगा था , स्तूप (टीला) ये विभिन्न आकर के होते थे जैसे - गोल , लम्बे , बड़े , छोटे आदि।
- सभी स्तूपों के भीतर एक छोटा सा डिब्बा रखा रहता है जिसमे बुद्ध या उनके अनुयायियों के अवशेष होते है जैसे - राख , हड्डी , दांत इत्यादि।
- उनके द्वारा कोई वस्तु जो बहुत ज्यादा प्रयोग की जाती थी वो भी इस डिब्बे में रख दी जाती थी। इस डिब्बे को धातु मजूषा कहा जाता है।
- प्रारंभिक स्तूपों में , धातु मजूषा के ऊपर मिटटी का टीला होता था परन्तु धीरे- धीरे बाद में टीले को ईटों से ढका गया इसके बाद भी समय के साथ स्तूपों में बदलाव आये जिसमे इनको गुम्बदनुमा आकार देकर पत्थरो से ढका गया।
- स्तूपों के चारो और परिक्रमा करने के लिए एक वृताकार पथ बना होता है जिसे प्रदीक्षण पथ कहते है।
- इस पथ को रेलिंग से घेर दिया जाता जिसको वेदिका कहते है।
- वेदिका में प्रवेश द्वार बने होते है , रेलिंग को मूर्तिकला की सुंदर कलाकृतियों से सजाया जाता था।
- इस काल के दौरान कुछ मंदिरो के भी निर्माण कराये गए थे, इन मंदिरो में विष्णु , शिव , दुर्गा जैसे देवी देवताओ की पूजा की जाती थी।
- मंदिरो का महत्वपूर्ण भाग गर्भग्रह होता था यहां मुख्य देवी या देवता की मूर्ति रखी जाती थी।
- मंदिरो में ही पुरोहित धार्मिक अनुष्ठान करते थे और भक्तजन भी पूजा भी यही करते थे।
- अक्सर गर्भगृह को पवित्र स्थान दिखाने के लिए उसको बहुत ऊचे पर बनाया जाता था जिसको शिखर कहते है।
- जयादातर मंदिरो में एक मंडप नाम की भी जगह होती है जहां लोग इकट्ठा होते थे जिसको सभागार भी कहते थे।
महाबलिपुरम - एकाश्मिक मंदिर
स्तूप तथा मंदिर किस तरह बनाये जाते थे
- मंदिर या स्तूप को बनाने का निर्णय राजा या रानी या कोई धनि वर्ग का व्यक्ति लेता था इसके लिए सारा खर्च वही करते थे जैसे - शिल्पकार ,अच्छे पत्थर आदि में खर्च।
- भक्त मंदिरो या स्तूपों के लिए अपनी तरफ से उपहार में सजावट का सामान लाते थे।
- उड़ीसा में पहाड़ी को खोदकर दो मंजिल ईमारत जैन मठ का निर्माण कराया गया था।
चित्रकला
- अजंता के पहाड़ो में काफी गुफाये खोदी गई थी जिनमे ज्यादातर बौद्ध भिक्षुओ के लिए बनी थी जिनको चित्रों से सजाया गया था।
- गुफाओ में अँधेरा होने की वजह से ये चित्र मशालों की रौशनी मे बने थे इन चित्रों में पेड़ पौधे और खनिजों से बने रंगो का उपयोग किया गया था।
- इन रंगो की चमक 1500 साल बाद भी आज भी बरक़रार है , इनको बनाने वाला कलाकार अज्ञात है।
पुस्तकों की दुनिया
- इस युग में कई प्रसिद्ध महाकाव्य की रचनाये की गई थी , इनमे स्त्री-पुरुष , देवी-देवताओ आदि की वीरगाथाएं भी शामिल है।
- करीब 1800 साल पहले एक तमिल महाकाव्य सिल्पादिकारम की रचना इलांगो नामक कवि ने की थी जिसमे कोलवान नामक व्यापारी की कहानी है।
- तमिल महाकाव्य मणिमेखलइ की रचना 1400 वर्ष पहले सतनार ने की थी , इस महाकाव्य में कोलवान और माधवी की बेटी की कहानी है।
- पुराण का शाब्दिक अर्थ प्राचीन है , इसमें शिव , पार्वती , विष्णु आदि देवताओं की कहानिया लिखी हुई है पुराण के अनुसार पूजा दो तरीके से होती है।
- महाभारत की कहानी बहुत पुरानी है यह करीब 1500 वर्ष पहले लिखी गई रचना है पुराणों और महाभारत की रचना व्यास द्वारा ही की गई थी।
- रामायण की रचना वाल्मीकि जी ने संस्कृत में की थी।
- आम लोगो की रचनाये है पंचतंत्र जो कहानियों के रूप में लिखी गई है।
- इसी काल के दौरान आर्यभट ने आर्यभट्टीयम की रचना की थी।
- कागज का अविष्कार 1900 साल पहले चीन में हुआ था पहले ये गुप्त रखा गया था फिर यह कोरिया में गया इसके बाद कागज का विस्तार जापान , बगदाद , यूरोप ,अफ्रीका , एशिया सब जगह कागज का इस्तेमाल हुआ।
आगे हम कक्षा 7th की इतिहास की पुस्तक को पढ़ेंगे
Thanks.....