बौद्ध धर्म का उदय कब और कैसे हुआ बौद्ध धर्म के संस्थापक कौन है ?

आज हम प्राचीन इतिहास के क्रम मे बौद्ध धर्म के विषय मे विस्तार से पढ़ेंगे अपने पिछले ब्लॉग मे हमने महाजनपदकाल  के इतिहास के बारे मे जानकारी ...

बौद्ध धर्म का इतिहास

आज हम प्राचीन इतिहास के क्रम मे बौद्ध धर्म के विषय मे विस्तार से पढ़ेंगे अपने पिछले ब्लॉग मे हमने महाजनपदकाल  के इतिहास के बारे मे जानकारी देने की कोशिश की थी 

600 BC के  दौरान नए धर्मो का उदय हुआ  जैसे नास्तिक संप्रदाय , आस्तिक संप्रदाय 

नास्तिक संप्रदाय -   इस सम्प्रदाय के लोग मानवता और ईमानदारी मे विश्वास करते थे जैसे - बौद्ध धर्म और जैन धर्म। 

 आस्तिक संप्रदाय - इस सम्प्रदाय के लोग ईश्वर मे विश्वास करते है। 

बौद्ध धर्म  का इतिहास - 

- बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध था इनका जन्म 563 BC मे लुम्बिनी (कपिलवस्तु ) मे  हुआ था। उनका बचपन का सिद्धार्थ था , उनका कुल साक्य था। 

- बुद्ध भगवान के पिता का नाम सुद्धोधन जो कपिलवस्तु के राजा हुआ करते थे। 

-उनकी माता का नाम महामाया था जो कोलिय वंश से थी उनकी मृत्यु के बाद राजा सुद्धोधन ने सिद्धार्थ के पालन हेतु उनकी मौसी से विवाह किया जिनका नाम प्रजापति गौतमी था। 

- सिद्धार्थ का विवाह सोलह वर्ष की उम्र मे कर दिया गया उनकी पत्नी का नाम यशोधरा था उनका एक पुत्र जिसका नाम राहुल ( एक और बंधन )रखा। 

- बुद्ध भगवान की मृत्यु  483 BC मे  कुशीनगर मे हुई थी। 

बौद्ध धर्म के उदय का कारण 

- प्राचीन भारत में ब्राह्मणो में यज्ञ में बलि दी जाती थी जबकि पशुबलि एक तरह से मानव बलि ही है। 

- ये विचार बदलने हेतु बौद्ध धर्म और जैन धर्म का उदय हुआ था।  

 एक दिन उन्होंने 4 द्रृश्य देखे जिनके बाद उन्होने सन्यास की ठान ली  वो 4  द्रृश्य थे -

(1 ) वृद्ध  व्यक्ति   (2 ) बीमार व्यक्ति  (3 ) मृत व्यक्ति   (4 ) एक सन्यासी  जो खुश था    ( बाकी 3 दुखी थे )

-  इस घटना के बाद उन्होंने 29 वर्ष की आयु मे ग्रहत्याग किया जिसे महाभिनिष्क्रमण कहा गया। 

- उनके प्रथम गुरु आलार कलाम वैशाली से थे और सांख्य दर्शन के जानकार थे। 

- उनके द्वितीय गुरु रुद्रक रामपुत्र जो राजगृह से थे परन्तु वो इतने ज्ञान से भी खुश नहीं थे। 

- अंततः उन्होने बिहार के गया मे पीपल के वृक्ष के नीचे 45 दिनों की कठिनतपस्या के बाद उन्हें बुद्ध पूर्णिमा के दिन ज्ञान की प्राप्ति हुई। 

-  6 वर्ष के बाद 35 वर्ष की आयु मे उन्हें ज्ञान प्राप्ति के बाद उन्हें बुद्धत्व कहा गया। 

- बुद्ध का जन्म , मृत्यु , ज्ञान प्राप्ति वैशाख पूर्णिमा को हुआ इसलिए इस पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहा गया। 

- ज्ञान के बाद ही उनको बुद्ध , तथागत (सत्य है ज्ञान जिसका ) , शाक्यमुनि भी कहा गया। इनके आलावा उनको Light  Of Asia  (एडविन अर्नाल्ड  ने ) भी कहा गया। 

- पहली बार उनके 5 शिष्य बने जिनको उन्होने पहला उपदेश सारनाथ मे दिया जिनमे उनके प्रिय शिष्य आनंद थे।

उनके जीवन से जुड़े घटना के प्रतीक  

ज़न्म -        कमल एवं सांड 

गृह त्याग -  घोडा 

ज्ञान -       पीपल 

निर्वाण -   पद चिन्ह 

- बौद्ध धर्म मे पहले महिलाओं को आने की अनुमति नहीं थी परन्तु आंनद के आग्रह पर महिलाओं को भी अनुमति मिली। 

- प्रजापति गौतमी (मौसी) उस धर्म को अपनाने वालीऔर बुद्ध भगवान की पहली शिष्या थी। 

- इनके बाद वैशाली की एक नृत्यांगना ने भी यह धर्म अपनाया। 

- बुद्ध भगवान ने सबसे ज्यादा उपदेश श्रावस्ती, कौशल की राजधानी मे दिए। 

- उन्होने अपना अंतिम उपदेश सुभद्र (शिष्य) को दिया। 

चार मुख्य बाते जो उपदेश के दौरान उन्होने कही  (आर्य सत्य )-

(1 ) दुःख      (2 ) दुःख समुदाय     (3 ) दुःख निरोध      (4)  निरोध मार्ग 

 उनके द्वारा बताये आष्टांगिक मार्ग 

(1 ) सम्यक दृष्टि (2 ) सम्यक संकलप (3 ) सम्यक वाक्  (4 ) सम्यक कर्म  (5 ) सम्यक आजीव  (6 ) व्यायाम (7 ) सम्यक स्तुति  (8 ) सम्यक समाधि 

- उनके अनुसार  इन आठ मार्गो से दुखो कपो समाप्त किया जा सकता है। 

-  इनके आलावा इन्होने 10 नैतिक आचरण भी बताये थे। 

बौद्ध धर्म अपनाने हेतु  अपने उपदेशो मे उन्होने दो बाते बतायी - 

(1 ) बौद्ध धर्म के तीन रत्न  -     (a ) बुद्ध    (b ) धर्म /धम्म      (c ) संघ 

(2 ) निर्वाण की प्राप्ति 

 चार बौद्ध संगीति 

(1 ) पहली बौद्ध संगीति 483 BC मे राजगृह मे आजातशत्रु के शासन मे महाकाश्यप की अध्यक्षता मे हुई।  इस दौरान सुतपिटक , विनयपिटक की रचना हुई। 

(2 ) दूसरी बौद्ध संगीति 383 BC मे वैशाली मे कालाशोक के शासन मे शबकामी की अध्यक्षता मे हुई। बौद्ध धर्म का विभाजन महासंघविद व भेरवादी रूप मे पहली बार इसी दौरान हुआ। 

(3 ) तीसरी बौद्ध संगीति 247 BC मे पाटलिपुत्र मे अशोक के शासन मे मोगलीपुत्र तिस्स कीअध्यक्षता मे हुई। इसी दौरान तीसरे पिटक अभिधम्म की रचना हुई। 

(4 ) चौथी बौद्ध संगीति 102 AD मे कुंडलबन (कश्मीर ) मे कनिष्क के शासन मे वसुमित्र अश्वघोष की अध्यक्षता मे हुई।  इस दौरान दूसरी बार बौद्ध धर्म का विभाजन महायान और हीनयान शाखा मे  हुआ। 

हीनयान और महायान शाखा मे अंतर 

हीनयान शाखा 

 - हीनयान शाखा रूढ़िवादी मतलब परिवर्तन विरोधी थे। 

-बुद्ध को महापुरुष माना परन्तु देवता नहीं माना गया। 

- ये मूर्ति पूजा के विरुद्ध थे। 

- इस शाखा का विस्तार श्रीलंका , दक्षिण भारत , बर्मा , थाईलैंड मे हुआ। 

महायान शाखा 

- महायान शाखा को मानने वाले परिवर्तन के समर्थक थे। 

- बुद्ध को एक देवता / अवतार की उपाधि दी गयी थी। 

- ये मूर्ति पूजा मे विश्वास करते थे। 

- इस शाखा का विस्तार भारत, चीन , जापान ,तिब्बत मे था। 

\- इनका मुख्या उद्देश्य  बोधिसत्व की प्राप्ति था। 

बौद्ध साहित्य - 

त्रिपिटक - तीन पुस्तक जिनकी रचना पाली भाषा मे की गयी थी। 

(1 ) सूत्र पिटक - इसमें बुद्ध के उपदेश का संग्रह है। 

(2 ) विनय पिटक -  संघ के नियमो का संग्रह 

(3 ) अभिधम्म - दार्शनिक विचार 

जातक कथाएँ -

इसमें बुद्ध की पुनर्जन्म की कहानिया है। 

अश्वघोष की रचना -     बुद्धचरित (बोद्धो की रामायण ), सौन्दरनन्द , सातिरपुत्र प्रकरण 

स्तूप किसे कहते है ?

यहां बुद्ध और उनके अनुयायियों के अवशेष (मृत्यु के ) मिलते है। 


Thanks.....