- आज के ब्लॉग मे हम पाषाणकाल के बारे मे लिखेंगे इस से पहले के ब्लॉग मे हमने बताया इतिहास क्या है ? इसका अध्यन क्यों आवश्यक है ? - यह भारती...
- आज के ब्लॉग मे हम पाषाणकाल के बारे मे लिखेंगे इस से पहले के ब्लॉग मे हमने बताया इतिहास क्या है ? इसका अध्यन क्यों आवश्यक है ?
- यह भारतीय प्राचीन इतिहास का महत्वपूर्ण विषय है जिसकी जानकारी सिर्फ विद्यार्थियो के लिए ही आवश्यक नहीं होती है यह आम मनुष्य के लिए भी इतना ही जरूरी विषय है।
इतिहास के बारे मे पढ़ने से सभी को अपने अतीत के बारे मे पता चलता है। .........
भारतीय प्राचीन इतिहास हज़ारो वर्ष पुराना माना जाता है
प्राचीन इतिहास को तीन भागो मे विभाजित किया गया है -
1) प्रागेऐतिहासिक प्राचीन इतिहास (पाषाणकाल )
2) आगहेतिहासिक प्राचीन इतिहास
3) ऐतिहासिक प्राचीन इतिहास
प्रागेऐतिहासिक प्राचीन इतिहास - प्रागैतिहासिक प्राचीन इतिहास लगभग मानव जीवन से 3000 वर्ष पूर्व का माना जाता है इस समय के इतिहास मे कोई लिखित साक्ष्य नहीं मिले है सिर्फ पुरातात्विक स्रोत्र मिले है इसमें पथरो का उपयोग होता होगा जिनकी वजह से इस समय को पाषाणकाल भी कहा जाता है।
सबसे पहले प्रागैतिहासिक प्राचीन इतिहास का अध्यन भारत मे रोबर्ट ब्रुशफुट ने किया था ! प्रागैतिहासिक प्राचीन इतिहास को पाषाणकाल का नाम 1820 मे पहली बार जार्गेनस थॉमस ने दिया था , इन्होंहे इस इतिहास को तीन भागो मे व्यक्त किया है -
(1) पाषाणकाल (पथरो का उपयोग) (2) कांस्य युग (कांस्य का उपयोग) (3) लौह युग (लोहे का उपयोग )
भारत मे पुरातत्व विभाग के जनक - अलेक्जेंडर कनिंघम
पाषाणकाल को तीन भागो मे विभाजित किया गया है -
1 ) पुरापाषाणकाल - पुरापाषाणकाल का समय 25 लाख से 10 हज़ार ईसा पूर्व के बीच मे माना जाता है इस समय इतिहास मे कृषि और पशुपालन नहीं किया जाता था ! मनुष्य अपना भोजन शिकार करके प्राप्त करता था इनको आखेटक (शिकारी ) कहा जाता था ! पुरापाषाणकाल मे क़्वार्टजाइट और साल्क नामक पत्थर से औज़ार बनाये जाते थे।
पुरापाषाणकाल के महत्वपूर्ण साक्ष्य मे मध्यप्रदेश के हथनोरा से मानव कंकाल मिला है जबकि वही की भीमबेटका गुफा से चित्रकारी के साक्ष्य मिले है ! मिर्जापुर से तीनो काल के औज़ार प्राप्त हुए है ! पुरापाषाणकाल मे आग की खोज हो चुकी थी।
2 ) मध्यपाषाणकाल - मध्यपाषाणकाल का समयकाल 10 हज़ार से 4 हज़ार ईसा पूर्व के बीच का माना जाता है इस समय मई पशुपालन की शुरुआत हो चुकी थी , पहला पालतू पशु कुत्ता था परन्तु भोजन आखेटक द्वारा ही प्राप्त किया जाता था।
पुरापाषाणकाल के महत्वपूर्ण साक्ष्य चोपनिमाण्डो (उत्तरप्रदेश), सरायणहराय (उत्तरप्रदेश ), बागौर (राजस्थान), आजमगढ़ से पशुपालन के प्रणाम मिले है।
3 ) नवपाषाणकाल - नवपाषाणकाल का समय 4 हज़ार से 1 हज़ार ईसा पूर्व के बीच का माना जाता है ! मध्यपाषाणकाल और नवपाषाणकाल के समय को संक्रमण काल भी कहा जाता है , नवपाषाणकाल मे कृषि और स्थायी निवास की शुरुआत हो गयी थी।
नवपाषाणकाल के औज़ार स्लेट कई बने होते थे
नवपाषाणकाल के बुर्जहोम (कश्मीर) से गर्त आवास के साक्ष्य मिले है
कब्रों से मालिक के साथ कुत्तो के साक्ष्य प्राप्त हुए है , गुफ्फकराल से भी नवपाषाणकाल के साक्ष्य प्राप्त हुए है ,बिहार के चिरांद से औज़ार ,हड्डी और पत्थर से बने बर्तन प्राप्त हुए है।
उत्तरप्रदेश के कोल्डिहवा से चावल क दाने प्राप्त हुए है , मेहरगढ़ से कृषि के प्रमाण प्राप्त हुए है !
इस समय कृषि और विधिवत पशुपालन की शुरुआत हो चुकी थी।
आगहेतिहासिक प्राचीन इतिहास - आगहेतिहासिक प्राचीन इतिहास मे लिखित साक्ष्य प्राप्त हुए है परन्तु उनको पढ़ा नहीं जा सकता है जैसा की हड़पासभ्यता ( 2300 -1750 ईसा पूर्व ) मे जो साक्ष्य प्राप्त हुए है वो आज तक भी पढ़े नहीं जा सके है।
हड़प्पा सभ्यता के बारे मे हम अलग से एक टॉपिक मे विस्तार से अध्यन अगले ब्लॉग मे करेंगे।
ऐतिहासिक प्राचीन इतिहास - ऐतिहासिक प्राचीन इतिहास मे लिखित साक्ष्य प्राप्ति के साथ साथ उनको आध्यानकर्ताओं द्वारा पढ़ा भी सकता है जैसा की वैदिक सभय्ता (1500 -600 ईसा पूर्व ) से प्राप्त से वेदो को पढ़ा जा सकता है।
वैदिक सभ्यता के बारे मे हम अलग से एक टॉपिक मे विस्तार से अध्यन अगले ब्लॉग मे करेंगे।
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आप सभी को धन्यवाद् ..........
Thanks..