परिचय आज के अपने ब्लॉग मे प्राचीन इतिहास के क्रम मे मगध के बारे मे पढ़ेंगे जिसकी जानकारी हमे जैन और बौद्ध ग्रन्थ से मिलती है। - इन ग्...
परिचय
आज के अपने ब्लॉग मे प्राचीन इतिहास के क्रम मे मगध के बारे मे पढ़ेंगे जिसकी जानकारी हमे जैन और बौद्ध ग्रन्थ से मिलती है।
- इन ग्रंथो मे बताया गया है महाजनपदों की संख्या 16 थी जो राजनीती मे बड़े साम्राज्य थे उनको महाजनपद कहा गया इन 16 महाजनपदों मे मगध सबसे शक्तिशाली महाजनपद बनकर उभरा।
- आज हम मगध के विषय मे विस्तार से पढ़ने का प्रयास करेंगे।
- उत्तर वैदिक काल के दौरान लोहे की खोज से सभी राज्यों की आर्थिक स्थिति मे प्रगति होने लगी थी तभी मगध राज्य सबसे ज्यादा आगे उभर कर आया।
मगध साम्राज्य का संस्थापक - वृहद्रथ को माना जाता है।
मगध साम्राज्य के उदय के कारण
(1 ) आर्थिक स्थिति - मगध साम्राज्य मे कृषि और सिंचाई की व्यवस्था पूर्ण रूप से थी।
(2 ) राजनीतिक स्थिति - जहा का राजा शक्तिशाली होता है वहा की राजनीतिक स्थिति अच्छी होती है।
(3 ) भौगोलिक स्थिति - मगध साम्राज्य सोन और गंगा के संगम पर बसा था वो सुरक्षित प्रदेश था जिसके कारण वो मजबूत साम्राज्य था।
मगध साम्राज्य के प्रमुख वंश - मगध मे चार वंश हुए
( 1 ) हर्यक वंश
- हर्यक वंश को पितृहन्ता वंश भी कहा जाता है मतलब इस वंश के ज्यादातर राजा अपने पिता की हत्या कर बने थे।
बिम्बिसार -
- हर्यक वंश के संस्थापक बिम्बिसार थे इन्होने अपनी राजधानी राजगृह को बनाया था।
- इस वंश के राजाओं ने अपने राज्य को बढ़ाने के लिए वैवाहिक परंपरा की शुरुआत की थी।
- बिम्बिसार ने खुद 3 विवाह किये थे - (1 ) महाकौशला कौशल की राजकुमारी से (2 ) चेलना वैशाली की राजकुमारी से (3 ) छेमा मद्र की राजकुमारी से
- इनके दरबार का राजवैध जीवक को इन्होने बुद्ध और अवन्ति के राजा प्रद्योत की सेवा मे भेजा था।
आजातशत्रु / कुणिक
- आजातशत्रु भी हर्यक वंश के प्रमुख राजा थे इसने अपने पिता की हत्या कर राजगद्दी प्राप्त की।
- इन्होने काशी और वैशाली को जीता।
- बौद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद पहली बौद्ध सभा इन्ही के शासनकाल मे हुई।
उदयिन
- राजा उदयिन ने भी पिता की हत्या कर राजगद्दी प्राप्त की।
- इन्होने गंगा ,सोन के संगम पर पाटलिपुत्र नगर की स्थापना उसको अपनी राजधानी बनाया।
(2 ) शिशुनाग वंश
शिशुनाग
- शिशुनाग वंश के संस्थापक शिशुनाग थे , इन्होने अपनी राजधानी वैशाली को बनाया।
- शिशुनाग ने अवन्ति को जीतकर मगध मे शामिल किया।
कालाशोक
- इन्होने अपनी राजधानी पाटलिपुत्र को बनाया और द्वितीय बौद्ध सभा का आयोजन कालाशोक के शासन के दौरान ही हुआ था।
- इस वंश के आखिरी राजा नन्दिवर्धन थे।
(3 ) नन्द वंश
महापदमनंद
- नन्द वंश के संस्थापक महापदमनंद थे , इन्होने एकराट की उपाधि धारण की थी।
- पुराणों मे महापदमनंद का रूप बताया गया है।
- महापदमनंद ने कलिंग (उड़ीशा ) को जीता और जैन (जिनसेन ) की मूर्ति को मगध मे लाया।
- कलिंग मे नहरों का निर्माण उन्ही ने कराया था जिसके प्रमाण हाथी गुफा मे लिखित है।
घनानन्द
- घनानन्द इस वंश का अंतिम शासक था इसके बाद कौटिल्य ने चन्द्रगुप्त की सहायता से घनानन्द को मारकर मौर्य की स्थापना की थी।
(4 )मौर्य वंश
- यह मगध वंश का सबसे आखरी वंश था परन्तु यह सबसे शक्तिशाली भी था।
- मौर्य वंश का शासनकाल 322 BC -185 BC तक था।
- मौर्य वंश की स्थापना चन्द्रगुप्त ने की थी।
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