मौर्य शासन पूर्व विदेशी आक्रमण / यूनानी और ईरानी आक्रमण / yunani and irani attacks

विदेशी आक्रमण का इतिहास  मौर्य काल से पहले प्राचीन काल मे भारत पर विदेशी आक्रमण हुए थे जैसे  (1) ईरानी आक्रमण        (2) यूनानी आक्रमण  - धी...

मौर्य शासन पूर्व विदेशी आक्रमण

विदेशी आक्रमण का इतिहास 

मौर्य काल से पहले प्राचीन काल मे भारत पर विदेशी आक्रमण हुए थे जैसे

 (1) ईरानी आक्रमण        (2) यूनानी आक्रमण 

- धीरे धीरे मगध साम्राज्य के विलय के बाद भारत कोई बड़ा साम्राज्य नहीं था जिस कारण सबसे पहले विदेशी आक्रमण मे ईरानियों से आक्रमण किया। 

(1) ईरानी आक्रमण 

- ईरानी आक्रमण के दौरान भारत के उत्तर पच्छिम क्षेत्र पर कोई शासन नहीं था , इसी क्षेत्र से विदेशी आक्रमण होते थे। 

- ईरानी आक्रमण भारत पर पहला विदेशी आक्रमण था जो हख़मनी  वंश के राजा  द्वारा किया गया था। 

- प्रथम आक्रमण साइरस द्वारा 550 BC मे किया गया था जो एक असफल प्रयास था। 

- ईरानी आक्रमण मे सफल आक्रमण डेरियस प्रथम द्वारा 516 BC किया गया था।

- उसने भारत के कम्बोज , पच्छिमी गांधार और सिंध पर विजय प्राप्त की। 

- डेरियस ने भारत के पछिमोत्तर भाग को अपना 20वा  प्रान्त बनाया। 

- यहां आक्रमण से जीत मे डेरियस ने 360 टैलेंट (ईरानी) स्वर्ण मुद्रा प्राप्त की। 

ईरानी आक्रमण का प्रभाव 

- ईरानी आक्रमण के बाद भारत मे ईरानी लिपि अरमाइक लिपि का प्रचलन शुरू हुआ। 

- हमारी भारतीय लिपि ब्राह्मी के साथ अरमाइक लिपि के मिलने से खरोष्टि लिपि का उद्भव हुआ। 

- मौर्य शासनकाल के प्रमुख राजा अशोक ने अपने लेखो मे खरोष्टि लिपि का इस्तेमाल किया था। 

- मौर्यकाल की कला पर ईरानी प्रभाव बहुत दिखा था। 

- ईरानी आक्रमण के बाद भारत के ईरान से आर्थिक (व्यापारिक) सम्बन्धो का विकास तेजी से हुआ था। 

(2) यूनानी आक्रमण 

- ईरानी आक्रमण के बाद भारत पर दूसरा विदेशी आक्रमण यूनानियों द्वारा किया गया था। 

- भारत पर दूसरा विदेशी आक्रमण ईरानी शासक सिकंदर द्वारा किया गया जो मकदूनिया के शासक फिलिप का पुत्र था। 

- 329 BC मे फिलिप की हत्या के बाद 20 वर्ष की आयु मे सिकंदर मकदूनिया का शासक बना , सिकंदर अरस्तु का शिष्य था। 

- सिकंदर के अंदर विश्व विजेता बनने की चाहत थी। 

- सिकंदर ने भारत पर 326 BC मे आक्रमण किया था , उसने भारत मे प्रवेश हिंदूकश पर्वत को पार करके किया था। 

- सबसे पहले सिकंदर ने अश्वजीत , निशा जनजातियों को हराया था। 

-  बाद मे तक्षशिला के शासक आम्बी ने सिकंदर के सामने आत्मसमर्पण करके उसका सहयोग किया था। 

- इसके बाद सिकंदर ने पंजाब के शासक पोरू / पौरुष के साथ झेलम नदी के किनारे युद्ध किया।  ईरान मे झेलम नदी को हाईड्रोस्पिटीज़   कहा जाता है इस युद्ध मे सिकंदर की जीत हुई थी। 

- सिकंदर ने पौरुष से प्रभावित होकर उनका राज्य वापस कर दिया था। 

- पंजाब का कुछ भाग सिकंदर ने अपने सेनापति सेल्यूकस निकेटर  को उपहार मे दिया था यही सेल्यूकस निकेटर की पुत्री का विवाह मौर्यशासन के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य के साथ हुआ था।  

- इस युद्ध के सिकंदर भारत के अन्य राज्यों पर आक्रमण करना चाहता था परन्तु उसकी सेना ने व्यास नदी को पार करने से मना कर दी थी। 

सेना के व्यास नदी पार करने के कारण हो सकते थे

(1) सेना को अपना राज्य छोड़े काफी दिन हो गए थे।    

(2) भारत की जलवायु यूनान से अलग थी।       

(3) छोटे से राज्य पंजाब मे ऐसा हाल हुआ तो नन्द वंश के क्रूरी राजा घनानंद के सामने क्या होगा। 

- सिकंदर भारत मे  19 माह रुका था। 

- इसके बाद सिकंदर अपने देश वापस जाने को तैयार हुआ जिसमे उसने अपनी सेना को दो टुकड़ियों मे विभाजित कर लिया था। 

(1) स्थल सेना जिस सेना के साथ सिकंदर मौजूद था। 

(2) जल सेना जिसके साथ निर्याकस मौजूद था। 

- सिकंदर की मृत्यु 33 वर्ष की आयु मे बेबीलोन मे हुई थी। 


 भारत पर यूनानियों के आक्रमण के प्रभाव 

 सिकंदर ने दो शहरों की स्थापना की     

 (1) निकैया  -  पौरुष से जीता हुआ क्षेत्र       

 (2)बऊकेकला -  घोड़े के नाम पर  था जो युद्ध मे मरा था

- एक सिकन्दरिया नगर  भी था जो भारत के बाहर था 

- गांधार शैली का विकास सिकंदर के आक्रमण के बाद ज्यादा हुआ, बौद्ध धर्म की मूर्तिया बनने लगी थी। 

- यूनानी आक्रमण के बाद भारत मे एकीकरण हुआ था मौर्य समाज की स्थापना हुई थी जो केंद्रीकृत शासन था। 

- यूनानियों से व्यापारिक सम्बन्ध बनने ;लगे थे। 

- सिकन्दर और उसकी जीत की जानकारी सिकंदर के साथ आये लेखकों द्वारा मिलती है। 

-  सिकंदर के आक्रमण के बाद भारत मे तिथियों का ज्ञान होने लगा था।  


Thanks..