दक्षिण भारत का इतिहास / History Of South India क्या है विस्तार से बताइये (प्रथम भाग)

  संगम काल   - जब उत्तर मे मोर्यो का शासन काल च ल रहा था उस समय दक्षिण भारत मे भी अलग साम्राज्य का शासन था जिसे  संगम युग कहते है।  - संगम ए...

 

दक्षिण भारत का इतिहास


संगम काल 

 - जब उत्तर मे मोर्यो का शासन काल ल रहा था उस समय दक्षिण भारत मे भी अलग साम्राज्य का शासन था जिसे  संगम युग कहते है। 

- संगम एक संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका अर्थ सभा या गोष्टि होता है। 

- संगमकाल का समय लगभग 100 BC से 300 AD के मध्य का माना जाता है। 

- संगम तमिल कवियों की सभा होती थी जो राजाओ द्वारा कराई जाती थी जिसमे साहित्यो की रचना की गयी जिसको संगम साहित्य कहा जाता है। 

 संगमकाल के शासनकाल के दौरान तीन प्रमुख वंश थे   (1) चोल    (2) चेर   (3) पाण्ड्य 

- पांड्य के राजाओ के संरक्षण  मे तीन संगमो का आयोजन किया गया था। 

(1) प्रथम संगम मदुरई मे अगस्तगुरु की अध्यक्षता मे हुई थी , जिसके कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है। 

(2) द्वितीय संगम सभा कपाटपूराम मे अगस्त गुरु की अध्यक्षता मे हुई थी , जिसका प्रमाण तोलकापियम (तमिल व्याकरण ग्रन्थ) है। 

(3) तृतीया संगम उत्तरी मदुरई मे नक्किर की अध्यक्षता मे हुई थी। 

संगम काल राजवंशो का मैप

 संगम काल के प्रमुख राजवंश 

(1) चेर 

- वर्तमान मे चेर राज्य केरल मे स्थित है, इसका प्रतीक चिन्ह धनुष था। 

- चेर राज्य की राजधानी वांजी थी। 

- चेर वंश के सबसे प्रतापी राजा शेरगुटवन थे , इन्होने कण्णगी पूजा /सती पूजा / पत्नी पूजा (पवित्र और आदर्श पत्नी की पूजा)की प्रथा शुरू की थी। 

   शेरगुटवन दक्षिण भारत के पहले राजा थे जिन्होंने भारत से चीन मे राजदूत भेजा था। 

- चेर वंश का अंतिम शासक सैइयै था।  


(3) चोल 

- चोल वंश का प्रतीक चिन्ह बाघ था, चोल वंशो का शासन तमिलनाडु राज्य मे था। 

- चोल राज्य दक्षिण भारत का सबसे शक्तिशाली राज्य था। 

- चोल राज्य की राजधानी पुहार / कवेरीपटट्नम  थी। 

- चोल राजाओ मे सबसे प्रमुख राजा करिकाल था , इसने श्रीलंका पर विजय प्राप्त की थी।  

- करिकाल ने चेर और पाण्ड्य राजाओ को पराजित कर कावेरी नदी घाटी मे सुधार किया था 

- करिकाल के शासनकाल के दौरान व्यापार मे विकास हुआ था। 

- चोल वंश संगम युग मे सबसे महत्वपूर्ण   वंश था।  


(2) पाण्ड्य 

- पाण्ड्य वंश का प्रतीक चिन्ह मछली था। यह राज्य मोतियों के लिए बहुत प्रसिद्ध था।  

- पाण्ड्य का प्रथम उल्लेख मेगास्थिनीज़ द्वारा दिया गया था। 

- पांड्यो का शासनकाल महिलाओं द्वारा होता था। 

- पांड्या शासनकाल मे तीन संगम का आयोजन किया गया था। 

- तमिलों के प्रमुख देवता मुहगन थे। 

- पांड्या शासनकाल मे विधवा महिलाओ की स्थिति बहुत खराब थी। 

-  दक्षिण भारत के आर्यकरण अगस्त्य ऋषि थे। 

- पाण्ड्य राजाओ मे नोडियोंन सबसे प्रमुख राजा थे इन्होने समुद्र पूजा की शुरुआत की थी। 

- संगम युग का अंतिम राजा नेंदुजैलियन था , यह राजा वैदिक धर्म को प्रोत्साहन करता था यज्ञ मे विश्वास करता था। 


प्रमुख संगम साहित्य 

 तोलकापियम - संगम काल का प्रमुख ग्रन्थहै जो तोलकापिय्यर द्वारा रचित है ये तमिल व्याकरण ग्रन्थ है। 

 शिल्पधिकारम - इलांगोआदिगल (चेर शासक शेरगुटवन का भाई ) द्वारा रचित है इसमें व्यापारी , पत्नी पूजा एवं नृतकी माधवी की प्रेम कहानी का उल्लेख है। संगमकालीन महाकाव्यों मे सबसे महत्वपूर्ण है  

तिरुवल्लर-   जो तिरुवल्लुर द्वारा रचित है यह साहित्य नीतिशास्त्र से सम्बंधित है। 

कुरल - इसको तमिल साहित्य का बाइबिल भी कहते है।   

मणिमेखलै - इसके रचनाकार सीतलैसत्तनार है ये मदुरई के बौद्ध व्यापारी था , इस ग्रन्थ की तुलना वात्सायन की रचना कामसूत्र से की गई है।  


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