आज के ब्लॉग मे हम पूर्व वैदिक / ऋग्वेदिक काल और उत्तर वैदिक काल का विस्तार से अध्यन करेंगे जबकि हमने अपने पिछले ब्लॉग में वैदिक सभ्यता के...
आज के ब्लॉग मे हम पूर्व वैदिक / ऋग्वेदिक काल और उत्तर वैदिक काल का विस्तार से अध्यन करेंगे
जबकि हमने अपने पिछले ब्लॉग में वैदिक सभ्यता के इतिहास को जाना था
वैदिक सभ्यता से
वैदिक काल को दो भागो मे विभाजित किया गया है-
(1) पूर्व वैदिक काल / ऋग्वैदिक काल (1500 -1000 BC)
(2) उत्तर वैदिक काल (1000 -600 BC)
पूर्व वैदिक काल का राजनीतिक जीवन -
- इस काल मे लोग कबीला बना कर रहते थे कबीले को
जन कहा जाता था
- उस समय राजा भी होते थे परन्तु
राजा को सीमित अधिकार थे।
- राजा की सहायता के लिए समिति, सभा
, विदथ , गण नाम के समूह बनाये गए थे।
समिति - आम लोगो की सभा ( पुरुष / महिला )
सभा - कुलीनों की सभा (सीमित )
विदथ - उपज के भाग का बटवारा , लूट
के सामान का विभाजन इसी सभा मे होता था। (सबसे प्राचीन संस्था) ,महिला
भी उपस्थित होती थी
गण - कुलीनों की सभा यह सभा के सामान ही थी
- राजा की सहायता के लिए कुछ अधिकारी भी नियुक्त किये जाते थे
जिनके रत्निन कहा जाता था।
-इन अधिकारियों मे मुख्य रूप से पुरोहित
( धार्मिक कार्य संभालना ), सेनानी (सेना प्रमुख ) ,
पुरप
( किले के रक्षक ) , स्पश ( गुप्तचर
के हैड )
- उस समय सेना नियमित नहीं होती थी।
- बलि एक प्रकार का टैक्स था जो राजा को आम लोगो द्वारा अपनी
इच्छा से दिया जाता था।
- पूर्व वैदिक काल मे
न्याय व्यवस्था पूर्ण रूप से लागू नहीं
थी ,
सामाजिक व्यवस्था -
- समाज समतावादी थी भेदभाव नहीं था परन्तु उस समय वर्ण व्यवस्था शुरू हो गई थी ( 10 वे
मंडल मे उल्लिखित) उस समय जनम के आधार
पर वर्ण व्यवस्था नहीं थी कार्य के आधार पर वर्णो का विभाजन था। ( 9 वे
मंडल मे उल्लिखित )
- पूर्व वैदिक काल समय मे दास प्रचलन तो था परन्तु यूरोप की
तुलना मे कम था।
-
उस समय परिवार /कुल सबसे छोटी इकाई होती थी और परिवार पितृसत्तात्त्मक होता था, और
सयुंक्त परिवार मे रहते थे।
-
उस समय स्त्रियों की स्थिति काफी अच्छी
थी उन्हें शिक्षा का अधिकार था , परिवार मे स्त्रियों का सम्मान
किया जाता था।
-
पनर्विवाह पर कोई रोक नहीं थी, दहेज
प्रथा पर प्रतिबंध था, बाल विवाह पर प्रतिबंध।
- उस समय की कुछ महिलाये थी जिन्होंने शिक्षा प्राप्त की थी और
बहुत प्रचलित थी (विश्वधार , अपाला ,
घोषा )
- उस समय के लोग मांसाहारी और शाकाहारी दोनों तरह के थे।
-
मनोरंजन मे वो नृत्य , संगीत
, घुड़दौड़ आदि।
आर्थिक जीवन -
- वैदिक सभ्यता में अर्थवयवस्था का मुख्य आधार पशुपालन था।
- गाय को ज्यादा महत्व दिया जाता था गाय का ऋग्वेद मे 176 बार
उल्लेख किया गया है।
- घोडा ऋग्वेदिक काल का दूसरा प्रमुख पशु माना जाता था क्यकि
घोड़े का प्रयोग रथ के लिए किया जाता था।
-पूर्व वैदिक काल मे कृषि को ज्यादा महत्व नहीं था तब कृषि केवल
गेहू और धान को जाती थी न की अर्थवयवस्था को संभालने हेतु।
-
कृषि का ऋग्वेदिक काल मे केवल 24 बार
उल्लेख है।
-
ऋग्वेदिक काल मे उद्योगों का विकास
ज्यादा नहीं था कुछ कार्य किये जाते थे जैसे - बढ़ईगिरी, रथकार।
-
व्यापार आंतरिक थे केवल एक कबीले से
दूसरे कबीले तक और व्यापार मे विनिमय व्यवस्था ( वस्तु से वस्तु ) थी क्योकि
मुद्रा का उपयोग नहीं था।
-
धातु मे
तांबा का प्रयोग था।
धार्मिक जीवन –
ऋग्वेदिक कालीन लोग प्रकृतिवादी पूजक थे
और ये बहुदेववादी थे ( विभिन्न देवी देवताओ )
देवताओ को तीन श्रेणी मे बाटा गया था -
अंतरिक्ष
पृथ्वी
आकाश
इंद्रा
अग्नि सूर्य
मरुत
पृथ्वी वरुण
रूद्र
सोम ऊषा
वायु
बृहस्पति विष्णु
इन्द्र
देवता
- सबसे प्रमुख देवता (पुरंदर) ऋग्वेद मे 250 श्लोक
इन्द्र के लिए है
अग्नि
देवता -
मध्यस्थ
देवता
( 200 श्लोक )
वरुण देवता - वर्षा
के देवता
सविता
देवी
- चमकता
सूर्य ( गायत्री मंत्र )
मित्र देवता -उगता
सूर्य
आश्विन
देवता -
चिकित्सक देवता
पूषन - पशुओ
और औषधि के देवता
सोम - वनस्पति के देवता
उत्तर
वैदिक काल –
1000 BC मे लोहे की खोज ने सम्पूर्ण व्यवस्था को प्रभावित किया जैसे -
राजनीतिक जीवन
- जन का आकार बड़ा हो गया जिसका नाम कुरु
जनपद पड़ा \
-
राजा का महत्व बढ़ने से शक्तियो मे भी
बढ़ोत्तरी हुई जिस से अब राजतन्त्र शासन हो गया
-
राजा के अधिकार
बढ़ने से समितियों (समिति, सभा, विदथ , गण )का प्रभाव कम हुआ
-
राजा की सहायता के लिए कुछ अधिकारी भी
नियुक्त किये जाते थे जिनके रत्निन कहा जाता था। इनका - महत्व बढ़ने लगा था और
संख्या भी बढ़कर 17 हो
गयी थी।
-
बलि एक प्रकार का टैक्स था जो राजा को
आम लोगो द्वारा अपनी इच्छा से दिया जाता था उत्तर वैदिक काल मे यह आवश्यक हो गया था
और नियमित कर का भी विस्तार हुआ।
-
सेना मे ज्यादा परिवर्तन नहीं देखने को
मिलता है परन्तु सेना की संख्या और युद्धों मे बढ़ोत्तरी होने लगी थी लोहे के
प्रयोग से औज़ारो मे भी बढ़ोत्तरी हुई।
- न्याय का उत्तर वैदिक काल मे भी पूर्ण रूप से विकास नहीं था।
सामाजिक जीवन -
परिवार - सबसे छोटी इकाई
ग्राम - परिवार का समूह
विष- ग्राम का समूह
जन - विष का समूह
- उत्तर वैदिक काल मे वर्ण व्यवस्था का
जन्म के आधार पर विभाजन हो गया था
(1 ) ब्राह्मण (2 ) छत्रिय (3
) वैश्य (4
) शूद्र
गोत्र - इस शब्द की उत्पत्ति उत्तर
वैदिक काल मे हुई , इसका अर्थ है गोधन एकत्रित होना
आश्रम व्यवस्था - इस काल मे मानव जीवन
को चार भागो मे बाटा गया जिसको 25
-25 वर्ष मे
बाट दिया गया
(1) बृमचर्य - 0 -25 वर्ष
(2) गृस्थ जीवन- 26 -50 वर्ष (श्रेष्ठ आश्रम)
(3) वानप्रस्थ जीवन -
51 - 75 वर्ष
(4) सन्यास - 76 -100 वर्ष
-स्त्रियो
की दशा मे गिरावट हुई अब उनको किसी सभा
मे भाग की अनुमति नहीं थी प्रदा प्रथा की शुरुआत होने लगी थी , कोई
शिक्षा का अधिकार नहीं था।
-
उत्तर वैदिक काल की महान स्त्रिया
- गार्गी , मैत्रयी ,कात्यायनी
-
इस दौर मे दास
प्रथा मे कोई बदलाव नहीं था भोजन ,
मनोरंजन
ये सब ऋग्वेदिक काल के सामान थे।
-
इस काल मे विवाह
प्रथा मे बदलाव आया - दो प्रमुख विवाह
(1) अनुलोम ( 2) प्रतिलोम
आर्थिक जीवन - अब प्रमुख व्यवसाय कृषि हो
गया था क्योकि लोहे की खोज हो गयी थी अब दूसरा प्रमुख व्यवसाय पशुपालन
हो गया था।
कृषि से बचे आधिसेष से उद्योगों मे विकास
हुआ इस काल मे विदेशी व्यापार होने लगा था परन्तु मुद्रा का इस्तेमाल नहीं हुआ था।
आर्थिक प्रगति से नगरीकरण की शुरुआत होने लगी थी ( दूसरी नगरीकरण सभ्यता )
धार्मिक जीवन
-
इस काल मे यज्ञो और कर्मकांडो
का महत्व बढ़ गया था
काल के
प्रमुख देवता
प्रजापति
- सृजन
के देवता
विष्णु - पोषण
और रक्षक देवता
रूद्र - पशुओ
के देवता
वरुण - जल
देवता
पूषन - शुद्रो के देवता
कुछ महत्वपूर्ण यज्ञ
राजसूय यज्ञ - प्रतिष्ठा हेतु
वाजपेय यज्ञ - शक्ति प्रदर्शन
अश्वमेघ यज्ञ - राज्य विस्तार हेतु
(इन यज्ञो मे कर्मकाण्डों और बलि को ज्यादा प्रधानता दी जाती थी )
Thanks