मौर्यकाल के बाद कुछ ब्राह्मण साम्राज्य उभर कर आये , मौर्यकाल के अंतिम शासक व्रहद्रथ की हत्या उनके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने की और शुंग वंश...
मौर्यकाल के बाद कुछ ब्राह्मण साम्राज्य उभर कर आये , मौर्यकाल के अंतिम शासक व्रहद्रथ की हत्या उनके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने की और शुंग वंश की स्थापना की।
ब्राह्मण साम्राज्य - मौर्य के बाद जितने भी छोटे छोटे वंश उभरे उनको ब्राह्मण समाज का माना गया है , ब्राह्मण समाज के कुछ वंश थे -
(1) शुंग वंश
- शुंग वंश की स्थापना पुष्यमित्र शुंग ने 185 BC मे व्रहद्रथ की हत्या कर की थी।
- पुष्यमित्र ने अपनी राजधानी विदिशा को बनाया था।
- पतंजलि पुष्यमित्र के दरबार मे रहते थे।
- पुष्यमित्र ने मिनांडर (हिन्द यूनानी) को पराजित किया था।
- पुष्यमित्र के बाद उनका पुत्र अग्निमित्र शासक बना ,सूरदास की रचना मालविकाग्निमित्र मे मालविका और अग्निमित्र के विवाह का वर्णन किया है।
अग्निमित्र के बाद के कुछ शासक हुए जो ज्यादा प्रसिद्ध नहीं रहे -
वसुज्येष्ठ,वसुमित्र,अन्ध्रक ,पुलिन्दक ,घोष शुंग,वज्रमित्र,भगभद्र,देवभूति
- शुंग वंश के काल के दौरान बौद्ध स्तूप के रेलिंग पत्थर के बनने लगे थे।
- यह वंश वैष्णव धर्म को ज्यादा प्रचलित था।
- इसी वंश काल के दौरान मनु स्मृति की रचना हुई थी।
(2) कण्व वंश
- शुंग वंश के अंतिम शासक देवभूति की हत्या करके वासुदेव न कण्व वंश की स्थापनाकी थी।
- इस काल के दौरान यह साम्राज्य केवल पाटलिपुत्र तक सीमित रह गया था
- इस वंश ने सिर्फ कुछ वर्ष ही शासन किया जिसमे शासक रहे
भूमिपुत्र , नारायण , सुशर्मन
(3) सातवाहन वंश
- सातवाहन वंश के संस्थापक सिमुक थे , सातवाहन की राजधानी प्रतिष्ठान (महाराष्ट्र) थी।
- यह वंश कृष्णा , गोदावरी , आंध्रप्रदेश , महाराष्ट्र तक फैला था।
- सातवाहनों के शासनकाल के दौरान पहली बार ब्राह्मणो / भिक्षुओ को भूमि दान देने की शुरूआत की गयी थी।
सामंती प्रथा - सातवाहन काल के दौरान ही सामंती प्रथा का दौर भी था , इसका अर्थ है कोई बड़े राज्य का राजा छोटे क्षेत्र मे शासन के लिए सामंत रख लेता था।
- सामंती प्रथा की जानकारी नानाघाट अभिलेख से मिलती है।
- सातवाहनों ने शीशा , चांदी , कांसे के सिक्के चलाये।
- सातवाहन वंश मातृसत्तात्मक था परन्तु राजा पितृसत्तात्मक बनते थे।
- सातवाहन काल के दौरान ब्राह्मी लिपि का प्रयोग किया जाता था और अमरावती कला का विकास इसी दौरान हुआ था।
सातवाहन वंश के राजा - सिमुक , कृष्णा , वेदश्री , शातकर्णी द्वितीय , हाल , गौतमी पुत्र सतकर्णी
(4) चेदी वंश -
- चेदी वंश का दूसरा नाम महामेघवाहन वंश भी था।
- अशोक की मृत्यु के बाद कलिंग फिर से स्वतंत्र हो गया वहा चेदी वंश की स्थापना हुई जिसके प्रमाण उड़ीसा के हाथीगुफा अभिलेख से मिलते है।
- चेदी वंश का सबसे प्रतापी राजा खारवेल था जो जैन धर्म की मूर्ति जिन सीतलनाथ को वापस जीत कर लाता है इस मूर्ति को नन्द वंश के राजा महापदमनंद पहले मगध ले गए थे जिसे खारवेल ने वापस लिया था।
मौर्य साम्राज्य के बाद साम्राज्य छोटे छोटे राज्यों मे विभाजित हो गया था जिसके बाद कुछ विदेशी भी इसका लाभ उठा कर मध्य एशिया से यहां आक्रमण करने लगे थे।
भारत आने वाले विदेशी राजाओ का क्रम
(1) हिन्द यूनानी
- इनको ग्रीक / बक्ट्रियाई भी कहा जाता है इन्होने भारत मे मध्य एशिया से प्रवेश किया था।
- भारत मे सबसे पहला आक्रमण बक्ट्रियाई शासक डेमेट्रियस ने किया था इसने अफगानिस्तान , पंजाब , सिंध को जीता। उसने अपनी राजधानी शक्ल को बनाया जो वर्तमान मे श्यालकोट मे है।
- इस वंश के प्रमुख शासक मिनांडर (मिलिंद ) थे।
- मिनांदर और नागसेन (बौद्धिष्ठ) के प्रश्न और उत्तर का संकलन मिलिन्दपन्हो (बौद्ध ग्रन्थ) मे है।
- सबसे पहले सोने के सिक्के बक्ट्रियाई (मिनांडर) ने ही जारी किये थे।
- ये पहला शासक था जिसके सिक्को से काल और राजा का सही जानकारी प्राप्त होती है।
- इस शासन मे नाट्य मे पर्दा का प्रचलन था।
(2) शक
- शक मध्य एशिया की एक जनजाति है जो चारागाह की खोज मे भारतआये थे।
- शको की पांच प्रमुख भाषा थी जिनमे पश्चिमी शाखा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण थी।
- इस शाखा के प्रमुख राजा रुद्रदामन थे जिनका शासन काल (130-150 AD) था।
- इन्होने चन्द्रगुप्त द्वारा बनाई गयी सुदर्शन झील का जीर्णोद्धार ( साफ़ -सफाई )कराया था।
- रुद्रदामन ने संस्कृत मे पहला अभिलेख बनवाया था जो जूनागढ़ मे है जिस से मौर्यकाल की जानकारी मिलती है।
(3) पहलव /पार्थियन
- पहलव की राजधानी तक्षशिला थी और इनका प्रमुख शासक गोंदोफर्निस था।
- सैंट थॉमस जो पहले ईसाई धर्म के प्रचारक थे जो इसी काल मे पहली बार भारत आये थे।
(4) कुषाण
- कुषाण चीन के यूची / तोखड़ी जाति से सम्बंधित थे जो मध्य एशिया से भारत मे आये थे।
- कुषाण वंश के संस्थापक कुजुक कंडफिसेस थे।
- ये शैव धर्म के उपासक थे।
- कुषाण वंश के सबसे प्रमुख राजा कनिष्क थे जिन्होंनेअपनी पहली राजधानी पुरुषपुर / पेशावर और दूसरी राजधानी मथुरा को बनाया था।
- 78 AD मे कनिष्क ने राजा बनने के उपलक्ष्य मे शक सवंत कलैंडर शुरू किया था जो अब राष्ट्रीय कैलेंडर भी है।
- कनिष्क ने अपने शासन मे सबसे शुद्ध सोने क सिक्के जारी किये थे।
- कनिष्क के समय काल मे भारत का अधिकार रेशम मार्ग पर था जिस मार्ग से चीन से बड़ी मात्रा मे रेशम मध्य एशिया जाता था तब भारत को बड़ी मात्रा मे कर प्राप्त होता था।
- कनिष्क ने बौद्ध धर्म की महायान शाखा को माना था और चौथी बौद्ध सभा कनिष्क का शासन मे हुई थी।
- कनिष्क के शासनकाल मे गांधार (ग्रीक और भारतीय कला का मिक्षण) और मथुरा कला का विकास हुआ था।
गांधार कला - बौद्ध धर्म से सम्बंधित
मथुरा कला - जैन धर्म से सम्बंधित
अश्वघोष द्वारा रचित - बुद्धचरित है जो बौद्ध धर्म की रामायण है
चरक द्वारा रचित - चरक संहिता जो चिकित्सा से सम्बंधित है
सुश्रुत - जिनको शल्य चिकित्सा का जनक कहा जाता है
नागार्जुन - शून्यवाद के जनक
Thanks...