मौर्य काल के शासन और अर्थव्यवस्था के बारे मे बताइये ?

मौर्यकाल का प्रशासन  मौर्यकाल का प्रशासन केंद्रीकृत था जैसे आज भारत मे केंद्रीय सरकार का शासन है - - राजा मौर्यकाल के शासन में के सबसे शक्ति...

मौर्यकाल का प्रशासन


मौर्यकाल का प्रशासन 

मौर्यकाल का प्रशासन केंद्रीकृत था जैसे आज भारत मे केंद्रीय सरकार का शासन है -

- राजा मौर्यकाल के शासन में के सबसे शक्तिशाली होता था जिसके पास सारी शक्तिया मौजूद होती थी , जैसे प्रशासन शक्ति , सैनिक शक्तिया , न्यायिक शक्तियां। 

- राजा के बाद अमात्य आता था जिसको प्रधानमंत्री कहा जाता था। 

- बाद मे तीर्थ नाम से अधिकारी होते थे जिसमे शीर्ष अधिकारी नियुक्त होते थे। 

जैसे -

 समाहर्ता -             राजस्व प्रधान , बलि , कृषि विभाग 

सन्निधाग -              राजकीय कोषाध्यक्ष

पण्ड्याध्यक्ष -         वाणिज्यध्यक्ष

सतीध्यक्ष-              राजकीय कृषि विभागध्यक्ष

अक्षपटलाध्यक्ष-      महालेखाकार 

सैन्य विभाग 

- मौर्य काल मे पैदल सेना 6 लाख के करीब थी जबकि हाथी सेना 30 हज़ार के लगभग थी। 

- घुड़सवार की सेना 9 हज़ार के करीब थी और सेनापति रथ को संभालता था। 

- मेगेस्थिनीज़ के अनुसार मौर्य प्रशासन मे 6 समितियां होती थी जिनमे पांच पांच सदस्य होते थे। 


मौर्य काल की न्याय व्यवस्था 

(1) धर्मस्थिनीज़ - यह दीवानी अदालत थी जिसमे जमीनी विवाद देखे जाते थे। 

(2) कंटकशोधन - यह फौज़दारी अदालत थी जिसमे चोरी डकैती के मामले देखे जाते थे। 

 गुप्तचर - मौर्यकाल मे दो तरह के गुप्तचर नियुक्त किये जाते थे  (1) संस्था  , ये एक स्थान पर रहकर ही देख रेख करते थे।  (2) संचार , ये गुप्तचर जगह जगह घूमकर पूरी व्यवस्था देखते थे। 

- मौर्य शासन पांच प्रांतो मे बटा हुआ था जैसे 

(1) उत्तरापन्थ -    यह तक्षशिला जो पाकिस्तान मे था 

(2) दक्षिणपंथ -    स्वर्णगिरि 

(3) प्राशी पूर्वी -    पाटलिपुत्र 

(4) अवन्ति -        उज्यिनी 

(5) कलिंग -        तोसली 

- 10 गांव के समूह को गोप कहा जाता था , ग्राम के मुखिया को ग्रामीक कहा जाता था। 

मौर्यकाल का नगर प्रसाशन 

- मेगेस्थिनीज़ के अनुसार (इण्डिका)  छः समितियां और एक मे पांच सदस्य होते थे  (6 *5 =30)


मौर्यकाल की सामाजिक व्यवस्था 

- कौटिल्य के अनुसार मनुष्य को चार भागो मे विभाजित किया गया है (1) ब्राह्मण (2) छत्रिय (3) वैश्य (4)शूद्र               परन्तु कौटिल्य ने शूद्र को आर्य कहा है 

- मेगेस्थिनीज़ के अनुसार उस समय के समाज को साथ वर्गों मे विभाजित किया है (1)दार्शनिक (2)किसान (3)अहीर (4)कारीगर (5)सैनिक (6)निरीक्षक (7)सभासद 

- मौर्यकाल मे महिलाओं की स्थिति मे काफी सुधार था उनको शिक्षा का अवसर मिल गया था। 

- मौर्यकाल मे वेश्यावृत्ति (रूपजीवा)की प्रथा का प्रचलन ज्यादा था। 

-कौटिल्य के अनुसार मौर्यकाल मे दास प्रथा भी प्रचलित थी। 

- परन्तु मेगेस्थिनीज़ के अनुसार दस प्रथा का प्रचलन नहीं था। क्योकि यूनान जैसी दास प्रथा यह मौजूद नहीं थी। 


मौर्यकाल की अर्थव्यवस्था 

- मौर्य की अर्थव्यवस्था का आधार कृषि था जिसका कर 1 /4 से  1/6  तक था 

- आंतरिक और बाहरिक दोनों तरह का व्यापार किया जाता था। 

- वस्त्रो का प्रमुख उद्योग किया जाता था। 

- व्यापार मे मुद्रा का प्रयोग होने लगा था। 

- मौर्यकाल मे कर को चोरी करने वालो को मृत्युदंड दिया जाता था। 

-मौर्यकाल का प्रमुख बंदरगाह भड़ौच (गुजरात) मे था। 

मौर्यकला 

- सिंधु सभ्यता के बाद कला का विकास मौर्य काल मे देखने को मिलता है। 

- मौर्यकाल मे कला मे सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण अशोक के 14  शिलालेख (शिला पर कुछ लिखना) है विस्तार से पढ़ने के लिए क्लिक करे। 

- इन शिलालेखों की खोज 1750 AD मे फेन्थ्लर द्वारा की गयी थी, परन्तु इनको पहली बार जेम्स प्रिंसेप द्वारा    1837 AD  पढ़ा गया। 

- इन शिलालेखों पर खरोष्टि , ब्रह्मिनी , ग्रीक , आरमाइक लिपि का प्रयोग मिलता है। 

 अशोक के स्तंभ - स्तंभ  पशुओ की आकृति की तरह दिखते है यह स्तंभ  अशोक के द्वारा बनवाये गए है।  

अशोक के स्तंभ है जो इस प्रकार है -

(1) सारनाथ का अशोक स्तंभ 

(2) इलाहाबाद का स्तंभ 

(3) वैशाली का स्तंभ 

(4) दिल्ली का अशोक स्तंभ 

(5) साँची का स्तंभ 


Thanks...